चूड़ियां सुहागन महिलाओं की पहचान मानी जाती हैं और महिलाओं को नए-नए डिजाइनों की चूड़ियां पहनने का शौक होता है, लेकिन महिलाओं द्वारा बाजारों में जाकर नामहरम मर्दों से चूड़ियां पहनने को दारुल उलूम देवबंद ने नाजायज़ करार दिया है। दारुल उलूम देवबंद ने मुस्लिम महिलाओं से जुड़ा एक फतवा जारी किया है, फतवे में मुस्लिम महिलाओं का बाजारों में जाकर या कहीं भी गैर-महरम मर्दों से चूड़ियां पहनने को गलत करार दिया गया है।
देवबंद के ही मोहल्ला बड़जियाउलहक निवासी एक व्यक्ति ने दारुल उलूम के इफ्ता विभाग से लिखित सवाल में पूछा था, कि हमारे यहां आमतौर पर चूड़ियां बेचने व पहनाने का काम मनीहार बिरादरी से संबंध रखने वाले लोग करते हैं।औरतों को चूड़ियां पहनने के लिए घर से निकलना पड़ता है और अपने हाथ गैर मर्दों के हाथों मे देने पड़ते है। क्या इस तरह घर से निकलकर या घर में रहकर औरतों का गैर मर्दों से चूड़ी पहनना जायज है।
इस पर दारुल उलूम देवबंद के मुफ्तियों की खंडपीठ ने जवाब देते हुए कहा है, कि नामहरम मर्द का अजनबी औरतों को चूड़ी पहनाना नाजायज़ और गुनाह है। औरतों का नामहरम मर्दों से चूड़ी पहनने के लिए बाहर निकलना भी मना है और गैर मर्दों से चूड़ियां पहनना नाजायज़ व सख्त गुनाह है। इस्लामी शरीयत के मुताबिक, किसी मुस्लिम महिला को हर उस मर्द से पर्दा करना होता है, जिससे उसका खून का रिश्ता न हो, इसी दलील के आधार पर फतवा देने वाली बॉडी दारुल इफ्ता ने ये जवाब जारी किया है।