क्या है ‘चुनावी बॉण्ड’ ? सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से क्यों परेशान है सरकार ?

नृपेंद्र मौर्य | navpravah.com

नई दिल्ली | सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को झटका देते हुए बड़ा फैसला सुनाया। शीर्ष अदालत ने चुनावी बॉन्ड को असंवैधानिक करार कर दिया। इस चुनावी वर्ष में ये सरकार के लिए बहुत बड़ा झटका हैं।

कोर्ट ने फैसले में ये भी कहा कि जनता को सूचना का अधिकार है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया साल 2023 के अप्रैल महीने से लेकर अब तक की सारी जानकारियां चुनाव आयोग को दे और आयोग ये जानकारी कोर्ट को दे।

सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायधीशों की संविधान पीठ ने राजनीतिक दलों को फंडिंग का एक तरीका, चुनावी बॉन्ड योजना की वैधता से संबंधित मामले में घटनाओं का क्रम में इसे रद्द करते हुए एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है।

भारत में कब कब क्या हुआ-

अगर हम भारत में चुनावी बॉन्ड को लेकर घटनाक्रमों को देखे तो वे इस प्रकार होंगे –

2017: वित्त विधेयक में चुनावी बॉन्ड योजना पेश की गई।
14 सितंबर, 2017 को मुख्य याचिकाकर्ता एनजीओ ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ ने योजना को चुनौती दिया और सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।

03 अक्टूबर, 2017 को शीर्ष अदालत ने एनजीओ द्वारा दायर जनहित याचिका पर केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को सुनवाई के लिए नोटिस जारी किया।

2 जनवरी, 2018: केंद्र सरकार ने चुनावी बॉन्ड योजना को अधिसूचित किया।

7 नवंबर, 2022 को चुनावी बॉन्ड योजना में एक वर्ष में बिक्री के दिनों को 70 से बढ़ाकर 85 करने के लिए संशोधन किया गया, जहां कोई भी विधानसभा चुनाव निर्धारित हो सकता है।

16 अक्टूबर, 2023 को मुख्य न्यायधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली एससी बेंच ने योजना के खिलाफ याचिकाओं को पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ को भेजा।

31 अक्टूबर, 2023 को सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने योजना के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की।

2 नवंबर, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा और 15 फरवरी, 2024 को शीर्ष अदालत ने योजना को रद्द करते हुए सर्वसम्मति से फैसला सुनाया और कहा कि यह भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संवैधानिक अधिकार के साथ-साथ सूचना के अधिकार का उल्लंघन करता है।

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