एक जुलाई से लागू हो जाएँगे तीनों नए क्रिमिनल लॉ, नाबालिग से दुष्कर्म की सज़ा फाँसी

संवाददाता | navpravah.com

नई दिल्ली | एक जुलाई 2024 से तीनों नए क्रिमिनल कानून लागू हो जाएंगे। भारत सरकार की ओर से अधिसूचना जारी कर ये सूचना दी गई है। तीनों नए कानून सीआरपीसी और आईपीसी की जगह लेंगे। इनका नाम भारतीय दण्ड संहिता होगा।

बता दें कि दिसंबर 2023 में ही राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इन तीनों कानूनों को शीतकालीन सत्र में ही मंजूरी दे दी थी। इसके साथ ही यह तीनों नए व‍िधेयक कानून बन गए थे। इसमें भारतीय न्‍याय संह‍िता, भारतीय नागर‍िक संह‍िता और भारतीय साक्ष्‍य अध‍िन‍ियम शाम‍िल हैं। अध‍िसूचना जारी होने के बाद अब यह तीनों नए आपराध‍िक कानून पुराने कानूनों की जगह ले लेंगे।

राष्ट्रपति ने शीतकानील सत्र में ही दे दी थी मंजूरी-

राष्‍ट्रपत‍ि द्रौपदी मुर्मू की ओर से तीनों नए आपराध‍िक न्‍याय व‍िधेयकों को द‍िसंबर में मंजूरी दे दी थी। इसके साथ ही यह तीनों नए व‍िधेयक कानून बन गए थे। इसमें भारतीय न्‍याय संह‍िता, भारतीय नागर‍िक संह‍िता और भारतीय साक्ष्‍य अध‍िन‍ियम शाम‍िल हैं। अध‍िसूचना जारी होने के बाद अब यह तीनों नए आपराध‍िक कानून पुराने कानूनों की जगह ले लेंगे।

अंग्रेजों के जमाने के कानूनों से म‍िलेगा छुटकारा-

इन तीनों कानूनों का मुख्‍य उद्देश्‍य देश में आपराध‍िक न्‍याय प्रणाली को बदलना है, जोक‍ि अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे कानूनों पर चल रही थी, इससे छुटकारा मि‍ल सकेगा। इन कानूनों में राजद्रोह के अपराध को भी समाप्‍त क‍िया गया है। सरकार ने नए कानून में राजद्रोह की धारा, 124 (क) को पूरी तरह से समाप्‍त कर इसको देशद्रोह में बदलने का काम क‍िया है। इसमें राज्‍य के ख‍िलाफ अपराध करने की एक नई धारा को शाम‍िल क‍िया गया है। इस नए कानून में राजद्रोह में सशस्‍त्र व‍िद्रोह, व‍िध्‍वंसक गत‍िव‍िधि, संप्रभुता या एकता का खतरे में डालने वाले अपराध, अलगाववादी गत‍िव‍िध‍ि जैसे अपराधों को शाम‍िल‍ क‍िया गया है।

धाराओं की संख्या में भी हुआ है बदलाव-

आईपीसी में 511 धाराएं थीं, जबकि भारतीय न्याय संहिता में 358 धाराएं होगी। सीआरपीसी में 484 धाराएं थीं, जबकि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में 531 धाराएं होंगी। इनमें 177 धाराओं को बदल दिया गया है, जबकि 9 नई धाराएं जोड़ी गई हैं।

दुष्कर्म के अपराधी को होगी फांसी-

नए कानून के मुताबिक, नाबालिग से दुष्कर्म करने पर फांसी होगी। गृह मंत्री अमित शाह ने मॉब लिंचिंग को एक घृणित अपराध बताया था। नए कानून के मुताबिक मॉब लांचिंग के अपराधी को आजीवन कारावास की सजा दी जायेगी। इसके अलावा पॉकेटमारी जैसे छोटे अपराधों पर भी नकेल कसने का प्रावधान नए कानूनों में किया गया है। इस तरह के अपराधों के साथ-साथ संगठित अपराध से निपटने के लिए प्रावधान भी नए कानून में किए हैं।

बता दें, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता 2023 आपराधिक प्रक्रिया संहिता 1973 (सीआरपीसी) की जगह लेगा।  सीआरपीसी गिरफ्तारी, अभियोजन और जमानत के लिए है। भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक 2023 (बीएसबी 2) भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 का स्थान लेगा।

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