न्यूज़ डेस्क | navpravah.com
देश में लगाए गए लॉकडाउन की वजह से विभिन्न स्थानों पर फंसे प्रवासी श्रमिकों की समस्याओं का संज्ञान सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः लिया है। न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई के लिए २८ मई की तारीख़ निर्धारित की है और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से इस मामले में सहयोग करने को कहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मज़दूरों को हुई परेशनियाँ दुखद हैं और इसमें केंद्र और विभिन्न राज्य सरकारों दोनों ओर से कमियाँ सामने आई हैं। कोर्ट ने कहा कि प्रवासी मजदूरों को आवास, भोजन और यात्रा की सुविधा देने के लिए तत्काल कदम उठाए जाने की जरूरत है।
ग़ौरतलब है कि लॉकडाउन के चलते लाखों की संख्या में प्रवासी श्रमिक उन राज्यों में फंस गए, जहां वे काम करने गए थे। आय और भोजन का कोई साधन न होने के चलते कई श्रमिक घर जाने के लिए पैदल ही सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा पर निकल गए थे।
हालांकि, बाद में केंद्र सरकार ने इन मजदूरों को घर पहुंचाने के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेन और बस सुविधा संचालित करने का फैसला किया था। ज्ञातव्य है कि पलायन की वजह से कई दुखद घटनाएँ प्रकाश में आईं। कई दुर्घटनाओं ने सरकार कार्यप्रणाली पर प्रश्न खड़े किए हैं।