राजस्थान के अरावली माइनिंग पर सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार को निर्देश दिया है कि, 48 घंटे के अंदर अरावली क्षेत्र में 115 हेक्टेयर में हो रहे अवैध माइनिंग पर रोक लगाई जाए।
वहीं सुनवाई के दौरान राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हैरान करने वाली जानकारी देते हुए कहा कि, दिल्ली बार्डर के पास अरावली क्षेत्र में 138 पहाड़ में से 28 पहाड़ गायब हो गए हैं, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि क्या लोग हनुमान हो गए हैं कि वह पहाड़ को लेकर गायब हो जा रहे हैं।
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की अध्यक्षता वाली पीठ ने अंतिम सुनवाई की तारीख तय करते हुए कहा था कि, 6 हफ्ते बाद मामले में अंतिम सुनवाई की जाएगी।
सुनवाई के दौरान पर्यावरण मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि, 82 LOI (लेटर ऑफ इंटेंट) धारकों की लीज एक्सपायर हो चुकी है, ऐसे में अब इन धारकों के पर्यावरणीय मंजूरी पर पर्यावरण मंत्रालय विचार नहीं कर सकता।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि, आप खनन माफियाओं को पैदा कर रहे हैं और खनन माफिया लोगों की हत्या कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण मंत्रालय को 6 सप्ताह के भीतर अध्ययन रिपोर्ट पेश करने को कहा था, सुप्रीम कोर्ट में पर्यावरण मंत्रालय को ये भी बताने को कहा था कि निर्माण कार्यों के लिए बजरी या फिर बालू क्यों आवश्यक है।
राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की थी कि, जिन 12 लाइसेंस होल्डरों को पर्यावरण मंजूरी मिल गई है, उन्हें बजरी खनन की इजाजत दी जाए, सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया था कि बजरी खनन के लिए सबसे पहले यह बताना होगा कि निर्माण कार्यों के लिए बजरी या फिर बालू क्यों आवश्यक है और इनके बिना निर्माण क्यों नहीं हो सकता है।