इधर सरकार बनाने की गठजोड़ में व्यस्त थे नेता, उधर 300 किसानों ने दे दी अपनी जान

मुंबई। महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद जहां हर नेता सत्ता के लिये लड़ रहा था, तो वहां किसी ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया कि राज्य में बेमौसम बारिश से किसान कितना परेशान है। नतीजन राज्य में सिर्फ एक ही माह में 300 किसानों ने आत्महत्या कर ली। पिछले चार सालों में एक महीने में किसानों के आत्‍महत्‍या की यह सबसे ज्‍यादा तादाद है। इससे पहले वर्ष 2015 में कई बार एक महीने में किसानों की आत्‍महत्‍या का आंकड़ा 300 को पार किया था।

आत्महत्या की घटनाओं में 61 प्रतिशत की तेजी

टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के अनुसार, राज्‍य में अक्‍टूबर महीने में बेमौसम की बारिश के बाद आत्‍महत्‍या की घटनाओं में काफी तेजी आई है। इस बारिश में किसानों की 70 फीसद खरीफ की फसल नष्‍ट हो गई। पिछले साल अक्‍टूबर से नवंबर के बीच आत्‍महत्‍या की घटनाओं में 61 प्रतिशत की तेजी आई है। अक्टूबर में 186 किसानों ने आत्महत्या की थी। आंकड़ों के हिसाब से राज्‍य के सूखा प्रभावित मराठवाड़ा इलाके में नवंबर महीने में सबसे ज्‍यादा 120 आत्‍महत्‍या के मामले और विदर्भ में 112 मामले दर्ज किए गए।

उद्धव सरकार विभागों के आवंटन में व्यस्त

बता दें, राज्य में हाल ही में नई सरकार बनी है और यहां मंत्रिमंडल विस्तार के बाद भी राज्य में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के बीच अभी भी विभागों के बंटवारे को लेकर ही बातचीत चल रही है। गुरुवार शाम तक यह स्पष्ट नहीं हो सका था कि विभागों के आवंटन की घोषणा कब की जाएगी।

विभागों के बंटवारे पर चर्चा

सूत्रों के अनुसार, राज्य सचिवालय में हुई एक बैठक में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण, बालासाहेब थोराट, विजय वडेट्टीवार और नितिन राउत, एनसीपी के अजित पवार, जयंत पाटिल और एकनाथ शिंदे विभागों के आवंटन को अंतिम रूप दे रहे थे। बैठक के बाद उपमुख्यमंत्री और एनसीपी नेता अजित पवार ने कहा कि विभागों के बंटवारे को लेकर महा विकास अघाड़ी के नेताओं ने चर्चा की। इसके अलावा दूसरे मुद्दों पर भी चर्चा हुई है।

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