एनपी न्यूज़ डेस्क| Navpravah.com
प्रसन्ना भंडारी अपनी जिंदगी के 80 साल पूरे कर चुकी हैं, लेकिन उनका हौसला और जज्बा देख हर कोई हैरान है। एक हजार के आस-पास निर्धन बच्चों को आसरा देने वाली कोटा की इस महिला ने साबित कर दिया है कि हौंसला और जज्बा उम्र का मोहताज नहीं होता है। प्रसन्ना भंडारी 84 साल की उम्र में भी गरीब, निर्धन और बेसहारा बच्चों से लेकर बुजुर्गों के लिए सहारा बनी हुई हैं, समाज में बेसहारों के लिए कुछ कर गुजरने की उनकी चाह खत्म नहीं होती है।
प्रसन्ना अपने परिवार से दूर जाकर सैंकड़ों अनाथ बच्चों को मां का प्यार दिया। उन्होंने न केवल उनका लालन-पालन किया बल्कि उनकी हर उस जिम्मेदारी को भी निभाया जो एक मां-बाप को उठानी होती है। प्रसन्ना इकलौती बुजुर्ग महिला हैं जो वास्तव में कोटा शहर में नि:स्वार्थ रूप से काम करते हुए अपने खुद के जीवन से संघर्ष करते हुए समाज को एक नई दिशा देने में जुटी हुई हैं।
84 वर्षीय प्रसन्ना भंडारी खुद एक बड़े परिवार से ताल्लुक रखती थीं। जिस परिवार में शादी हुई वो भी उन्हें बेहद बड़ा मिला, लेकिन शुरू से ही उनके अंदर एक ललक खुद के लिए नहीं बल्कि दूसरों के लिए कुछ करने की थी।
प्रसन्ना बताती हैं कि जब वे बच्चों को सड़क पर देखतीं थीं तो उनका दिल पसीज जाता था। जरूरतमंदों को लाचार देखतीं तो दिल को तकलीफ होती थी, जिस वजह से उन्होंने 1964 में करनी नगर विकास समिति का गठन किया और इसके बाद समाज के लिए कुछ करने की शुरुआत कर दी।
धीरे-धीरे प्रसन्ना ने निराश्रितों के लिए निराश्रित बालगृह से लेकर शिशुगृह, परिवार परामर्श केंद्र, श्रद्धा वृद्धाश्रम खोल दिए। प्रसन्ना ने करीब 950 ऐसे बच्चे, जिन्हें नवजात और अनाथ कहा जा सकता है। ऐसे बच्चों की जिंदगी को न केवल बचाया बल्कि उन्हें एक मंजिल का रास्ता भी बना कर दिया। बेटियों से प्रसन्ना भंडारी का प्रेम कुछ अलग ही था। इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि उन्होंने 45 से ज्यादा बेटियों का न केवल लालन-पालन किया बल्कि उनकी शादी भी पूरे धूमधाम से की।
प्रसन्ना भंडारी को भारत सरकार द्वारा बाल कल्याण सेवाओं के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से लेकर राजस्थान सरकार द्वारा सर्वश्रेष्ठ सामाजिक संस्था का पुरस्कार मिल चुका है। अब तक कुल 20 से ज्यादा राष्ट्रीय और राजस्थान स्तर के सम्मानों से प्रसन्ना को नवाजा जा चुका है।