एनपी न्यूज़ डेस्क | Navpravah.com
सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम द्वारा एक जज और एक वरिष्ठ वकील को सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त किए जाने के संबंधित सिफारिशों की फाइल पर सरकार चुप्पी साधे हुए है।
ऐसे में यदि इसका जवाब नहीं दिया गया तो सुप्रीम कोर्ट का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। इस आशय का खत सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जोसेफ कुरियन ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा को लिखा है।
कॉलेजियम ने वरिष्ठ वकील इंदु मल्होत्रा और उत्तराखंड के चीफ जस्टिस केएम जोसेफ को सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त करने की सिफारिश की है। इसी संबध में कुरियन ने चीफ जस्टिस से अपील की है कि, इस कोर्ट के इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि तीन महीने बीत जाने के बावजूद की गई सिफारिशों का क्या हुआ। इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।
द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस कुरियन ने चीफ जस्टिस से मामले का स्वत:संज्ञान लेने की अपील की है। यदि उनकी मांग को स्वीकार कर लिया जाता है तो खुले कोर्ट में सात वरिष्ठतम जज इस मामले की सुनवाई करते हुए लंबित सिफारिशों के बारे में सरकार से पूछ सकते हैं।
जस्टिस कुरियन ने सीजेआई से तत्काल हस्तक्षेप करने की अपील करते हुए यह भी कहा है कि, गर्भावस्था की अवधि पूरी होने पर यदि नॉर्मल डिलीवरी नहीं होती तो सिजेरियन ऑपरेशन की तत्काल जरूरत होती है। यदि सही समय पर ऑपरेशन नहीं होता तो गर्भ में ही नवजात की मौत हो जाती है।
कुरियन ने यह भी चेतावनी दी है कि, इस कोर्ट की गरिमा, सम्मान और आदर दिन-प्रतिदिन कम होती जा रही है। क्योंकि इस कोर्ट की अनुशंसाओं को अपेक्षित समयावधि के भीतर हम तार्किक निष्कर्षों तक पहुंचाने में सक्षम नहीं रहे हैं।
इस पत्र की कॉपी सुप्रीम कोर्ट के अन्य 22 जजों को भी भेजी गई है। जस्टिस कुरियन नवंबर में रिटायर होने वाले हैं और जजों को नियुक्ति से संबंधित कॉलेजियम के सदस्य हैं।
इससे पहले जस्टिस कुरियन जोसेफ ने 10 अप्रैल को दिल्ली में केरल मीडिया अकेडमी में स्टूडेंट्स से बातचीत के दौरान कहा था। कि कोर्ट और मीडिया को अपनी बात हमेशा बुलंद आवाज में कहना चाहिए। फिर चाहे कोई सुने या न सुनें।