शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती का निधन, प्रधानमंत्री ने जताया दुःख

एनपी न्यूज़ डेस्क | Nvapravah.com

कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती का निधन हो गया है।  83 वर्षीय जयेंद्र सरस्वती को अचानक सांस लेने में आ रही थीं।  ऐसे में उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया और इलाज के दौरान ही उनका देहांत हो गया। बुधवार की सुबह कांचीपुरम के प्राइवेट अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांसें लीं। उनका अंतिम संस्कार गुरुवार सुबह 9 बजे किया जाएगा।   

18 जुलाई 1935 को जन्मे जयेंद्र सरस्वती कांची मठ के 69वें शंकराचार्य थे। वे साल 1954 में शंकराचार्य बने। आपको बता दें कि कांची मठ कई स्कूल, आंखों के अस्पताल चलाता है। इस मठ की स्थापना खुद आदि शंकराचार्य ने की थी। जयेंद्र सरस्वती को 22 मार्च, 1954 को सरस्वती स्वामिगल का उत्तराधिकारी घोषित किया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी जयेंद्र सरस्वती के निधन पर दुख व्यक्त किया है। प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर लिखा कि शंकराचार्य हमेशा हमारे दिल में जिंदा रहेंगे। उन्होंने समाज के लिए काफी काम किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान शंकराचार्य के साथ अपनी पुरानी तस्वीरें भी शेयर की। 

प्रधानमंत्री के साथ कई अन्य नेताओं ने भी शंकराचार्य के निधन पर दुख जताया है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी उनके निधन पर ट्वीट कर दुख व्यक्त किया। वहीं बीजेपी नेता राम माधव ने ट्विटर पर लिखा कि जयेंद्र सरस्वती सुधारवादी संत थे, उन्होंने समाज के लिए काफी काम किए। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती के निधन पर दुख व्यक्त किया है।   

आपको बता दें कि साल 2004 में कांचीपुरम मंदिर के मैनेजर की हत्या के मामले में जयेंद्र सरस्वती का नाम सामने आया था, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार करके 2 महीने न्यायिक हिरासत में भी रखा गया था फिर साल 2013 में वह इस इल्जाम से बरी हो गए थे। बता दें कि कांची मठ कांचीपुरम में स्थापित एक हिंदू मठ है। यह पांच पंचभूतस्थलों में से एक है। यहां के मठाधीश्वर को शंकराचार्य कहते हैं। कांची कामकोटि पीठ के 69वें शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती का इस पद पर आसीन होने से पहले का नाम सुब्रमण्यम था। 

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