सौम्या केसरवानी | Navpravah.com
CBI vs CBI विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है। सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ इस पर सुनवाई कर रही है।
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने आलोक वर्मा के जवाब लीक होने पर नाराज़गी जताते हुए सुनवाई टाल दी थी और आलोक वर्मा के बारे में छपी रिपोर्ट की प्रति उनके वकील फली नरीमन को देते हुए उनकी प्रतिक्रिया मांगी थी।
फली नरीमन ने बताया था कि, मीडिया में छपा आर्टिकल सीवीसी की ओर से पूछे गए आलोक वर्मा के जवाब के बारे में था, न कि कोर्ट में सीलबंद कवर में पेश किए गए जवाब के बारे में।
दरअसल, आलोक वर्मा ने अचानक छुट्टी पर भेजे जाने के खिलाफ याचिका दायर की हुई है, याचिका में कहा गया कि दिल्ली स्पेशल पुलिस स्टैबलिशमेंट (डीएसपीई) एक्ट की धारा 4-बी के मुताबिक, सीबीआई निदेशक का दो वर्ष का तय कार्यकाल होता है और सरकार ने उनका कामकाज छीनकर इस नियम का उल्लंघन किया है।
याचिका में ये भी कहा गया है कि, उनका 35 साल सेवा का बेदाग रिकॉर्ड है और इसीलिए उन्हें दो वर्ष के लिए जनवरी 2017 में सीबीआई निदेशक पद पर नियुक्त किया गया है।
उनका कहना है कि सीबीआई से उम्मीद की जाती है कि वह स्वतंत्र और स्वायत्त एजेंसी के तौर पर काम करेगी, ऐसे हालात भी आते हैं, जबकि उच्च पदों पर बैठे लोगों से संबंधित जांच की दिशा सरकार की इच्छानुसार न हो, वर्मा कहते हैं कि हाल के दिनों में ऐसे मौके आए, जबकि जांच अधिकारी और अधीक्षण अधिकारी से लेकर संयुक्त निदेशक और निदेशक तक सभी कार्रवाई के बारे में एक मत थे, सिर्फ विशेष निदेशक राकेश अस्थाना का मत भिन्न था।