एनपी न्यूज़ डेस्क| Navpravah.com
बुंदेलखंड मार्च के महीने में ही पानी की समस्या से झूझ रहा है। कई-कई किलोमीटर का रास्ता तय करने पर ही पानी नसीब हो रहा है। तो कहीं पाइप डालकर बोरिंग के पानी को कुएं में भरा जा रहा है।
बुंदेलखंड में गहराए जल संकट की तस्वीर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-39 पर बसे घूघसी गांव में सजीव हो उठती है। टीकमगढ़ जिले की निवाड़ी तहसील में आने वाले इस गांव की आबादी लगभग 4000 है। इस गांव में तालाब और कुएं हैं। मगर सबके सब सूख चुके हैं। इस गांव की प्यास बुझाने का काम दो बोरिंग कर रहे हैं। जो गांव से लगभग दो किलोमीटर दूर स्थित हैं।
पानी की समस्या से हर उम्र और वर्ग के लोग परेशान है। गांव के एक युवक के अनुसार, गांव में दो किलोमीटर दूर से पानी आता है। आने वाला समय और मुसीबत भरा होने वाला है। क्योंकि जिस बोरिंग से पानी गांव के कुएं और टंकी तक आता है। वहां राष्ट्रीय राजमार्ग का काम चल रहा है। वह बोरिंग कब बंद हो जाए कुछ नहीं कहा जा सकता।
उन्होंने बताया कि, प्रशासन का इस ओर ध्यान नहीं है। नेताओं को सिर्फ चुनाव के समय गांव वालों की याद आती है। घूघसी तो एक उदाहरण है, इस इलाके के अधिकांश गांव का हाल ऐसा ही कुछ है।
बुंदेलखंड मध्य प्रदेश के छह जिले छतरपुर, टीकमगढ़, पन्ना, दमोह, सागर व दतिया और उत्तर प्रदेश के सात जिलों झांसी, ललितपुर, जालौन, हमीरपुर, बांदा, महोबा, कर्वी (चित्रकूट) को मिलाकर बनता है। सभी 13 जिलों का हाल एक जैसा है।
मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकारें हैं और केंद्रीय मंत्री उमा भारती का नाता भी इसी इलाके से है। मगर यहां अब तक ऐसे कोई प्रयास नहीं हुए हैं। जिससे पानी के संकट के कम होने के आसार नजर आएं। आलम यह है कि सूखे के चलते यहां के खेत मैदान में बदल चुके हैं।
सरकारों ने अगर समय रहते जल संकट को दूर करने के लिए कारगर कदम नहीं उठाए तो आने वाले दिन यहां के लोगों के लिए त्रासदी लेकर आएंगे, जब हालात बुरी तरह बिगड़ जाएंगे तब सरकारें बजट आवंटन का ऐलान करती नजर आयेगी, लेकिन हालत उसी तरह बने रहेगें।