एनपी न्यूज़ डेस्क | Navpravah.com
केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि भ्रष्टाचार – निरोधक कानून में सशोधन से यह सुनिश्चित हुआ है कि कि भ्रष्ट अधिकारी को पकड़ने की कार्रवाई में जांच एजेंसियां के हाथों अब ईमानदार अधिकारियों को प्रताड़ना नहीं झेलनी पड़ेगी।
जेटली ने एक फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि इस संशोधन के जरिए इस 30 साल से भी अधिक पुराने कानून में एक बुनियादी गडबड़ी को ठीक किया गया है, यह कानून उदारीकरण से भी पहले बनाया गया था, तब इस कानून को बनाते समय यह अंदाजा नहीं लगाया गया था कि इससे ईमानदारी के साथ फैसला करने वालों के समक्ष भी किसी तरह का जोखिम हो सकता है।
अरुण जेटली ने कहा, किसी ईमानदार बैंक प्रबंधन द्वारा यदि नियमों का पालन करते हुए कोई कर्ज दिया गया और बाद में कर्ज लेने वाला इसकी वापसी करने में असफल रहता है तो उस कर्ज को लेकर सवाल खड़े किए जाते हैं और समूची प्रक्रिया को जांच एजेंसी के हवाले कर दिया जाता है।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कई ईमानदार लोगों को इस प्रक्रिया में प्रताडि़त किया जाता है, हालांकि उन्हें कभी भी दोषी करार नहीं दिया गया है, इस सब के चलते नागरिक सेवा में लगे कर्मचारियों के मन में यह सोच बैठ गई कि खुद फैसला करने के बजाय निर्णय को अगले व्यक्ति पर टाल दो।
अरुण जेटली ने कहा कि भ्रष्टाचार निरोधक (संशोधन) विधेयक 2018 में कई ऐसे प्रावधान किए गए हैं जिसमें भ्रष्टाचार के मामलों की तेजी से सुनवाई होगी, इसके साथ ही इसमें अधिकारियों को उनके खिलाफ दुर्भावना से की गई शिकायतों से बचाव के उपाय किए गए हैं।