सौम्या केसरवानी | Navpravah.Com
संघ द्वारा आयोजित वार्षिक विजयदशमी पर्व में मोहन भागवत ने कहा कि, राम जन्मभूमि के लिए स्थान का आवंटन अभी तक नहीं किया गया, जबकि साक्ष्यों से यह स्पष्ट है कि उस जगह पर मंदिर था।
उन्होंने कहा कि, यदि राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं होता तो वहां पर मंदिर काफी पहले ही बन गया होता, हम चाहते हैं कि सरकार कानून बनाकर निर्माण के मार्ग को प्रशस्त करें, भागवत ने कहा, राष्ट्र के ‘स्व’ के गौरव के संदर्भ में अपने करोड़ों देशवासियों के साथ श्रीराम जन्मभूमि पर राष्ट्र के प्राणस्वरूप धर्ममर्यादा के विग्रहरूप श्रीरामचन्द्र का भव्य राममंदिर बनाने के प्रयास में संघ सहयोगी है।
मोहन भागवत ने कहा कि, हमारा समाज भारत की अवधारणा से सहज भाव से उपजे जब स्व की भावना के सत्य को भूल गया और स्वार्थ प्रबल हो गए तो हम अत्याचार के शिकार हो गए हैं, शासकों ने तो किसी को भी नहीं छोड़ा, बाबर ने ना हिंदू को बख्शा, ना मुस्लिम को बख्शा।
मोहन भागवत ने कहा, देश के रक्षा बलों को सशक्त बनाने और पड़ोसियों के साथ शांति स्थापित करने के बीच संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता है, उन्होंने पाकिस्तान का नाम लिए बगैर यह भी कहा कि वहां नई सरकार आ जाने के बावजूद सीमा पर हमले बंद नहीं हुए हैं।
उन्होंने देशवासियों से अपील की है कि, वे समाज में ‘शहरी माओवाद’ और ‘नव-वामपंथी’ तत्वों की गतिविधियों से सावधान रहें, भागवत ने कहा, दृढ़ता से वन प्रदेशों में अथवा अन्य सुदूर क्षेत्रों में दबाए गए हिंसात्मक गतिविधियों के कर्ता-धर्ता एवं पृष्ठपोषण करने वाले अब शहरी माओवाद के पुरोधा बनकर राष्ट्रविरोधी आंदोलनों में अग्रपंक्ति में दिखाई देते हैं।
भागवत ने आगे कहा कि, अपनी सेना तथा रक्षक बलों का नीति धैर्य बढ़ाना, उनको साधन-संपन्न बनाना, नई तकनीक उपलब्ध कराना आदि की शुरुआत हुई और उनकी गति बढ़ रही है, दुनिया के देशों में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ने का यह भी एक कारण है।