एनपी न्यूज़ डेस्क | Navpravah.com
सोशल मीडिया सकारात्मक बाते फैलाने की तुलना में नकारात्मक बातें अधिक फैलाते हैं। इससे नकारात्मक असर पड़ता है। इन नकारात्मक अनुभवों से युवाओं में अवसाद वाले लक्षणों की संभावना बन जाती है।
शोध के निष्कर्ष बताते हैं कि सोशल मीडिया के नकारात्मक अनुभव अवसाद वाले लक्षणों से जुड़े हैं। निष्कर्षो का प्रकाशन पत्रिका ‘डिप्रेशन एंड एंजाइटी’ में किया गया है।
इस शोध के लिए शोधकर्ताओं ने 1,179 पूर्णकालिक छात्रों के सोशल मीडिया के इस्तेमाल व अनुभव का सर्वेक्षण किया, इनकी आयु 18 से 30 के बीच रही। प्रतिभागियों ने अवसाद वाले लक्षणों के आकलन के लिए एक प्रश्नावली भी भरी।
शोधकर्ताओं ने पाया कि सोशल मीडिया पर सकारात्मक अनुभव में हर 10 फीसदी की बढ़ोतरी अवसाद के लक्षणों में चार फीसदी की कमी करती है, लेकिन ये परिणाम सांख्यिकीय रूप से महत्वपूर्ण नहीं है, इसका अर्थ है कि यह निष्कर्ष बेतरतीब अवसर की वजह से हो सकते हैं।
2017 में दुनिया के 18 देशों में Social Media पर समय बिताने वाले लोगों पर एक सर्वे किया गया था। इस सर्वे में 23 प्रतिशत लोगों ने माना था कि सोशल मीडिया की वजह से उनकी और उनके जीवनसाथी के बीच होने वाली बातचीत कम हो गई है। जबकि 33 प्रतिशत लोगों ने कहा कि Social Sites पर Active रहने के कारण वो अपने बच्चों से बहुत कम बात करते है। 23 प्रतिशत लोगों का कहना है कि हमेशा Online रहने वाली आदत की वजह से वो अपने माता-पिता से कम बातचीत करते है।
Facebook के एक पूर्व Vice President ने एक सेमिनार के दौरान ये बात कही थी कि सोशल मीडिया समाज को तोड़ने का काम कर रहा है और उन्हें इस बात का अफ़सोस है कि FaceBook को तैयार करने में उनकी भी भूमिका थी।