एनपी न्यूज़ डेस्क | Navpravah.com
एक अध्ययन से संकेत मिला है कि गर्भावस्था के दौरान हाई ब्लड प्रेशर होने पर महिलाओं को दिल की बीमारी का जोखिम और बढ़ जाता है। जिन मरीजों को पहले भी हाई ब्लड प्रेशर हो चुका है, उनमें यह खतरा दोगुना रहता है।
इसलिए यह आवश्यक है कि प्रसव के तुरंत बाद और अस्पताल से छुट्टी लेने से पहले महिलाओं के हाई ब्लड प्रेशर की निगरानी अच्छे से की जाये, ताकि बाद मे किसी भी तरह की परेशानी न हो।
हाई ब्लड प्रेशर पूरे शरीर में रक्त प्रवाह में बाधा डाल सकता है। जिसमें प्लेसेंटा और गर्भाशय शामिल हैं। यह भ्रूण की वृद्धि को प्रभावित करता है और गर्भाशय से प्लेसेंटा के समय से पहले विच्छेदन को रोकता है।
अगर प्रसव के पहले, उसके दौरान और बाद में बारीकी से निगरानी न की जाए तो हाई ब्लड प्रेशर ऐसी महिलाओं में हार्ट अटैक सहित दिल की अन्य समस्याओं का एक प्रमुख कारण बन सकता है।
हाई ब्लड प्रेशर के कुछ अन्य घातक प्रभावों में समय से पहले बच्चे का जन्म, दौरे, या मां-बच्चे की मौत तक शामिल हैं। हार्ट अटैक या पेरिपार्टम कार्डियोमायोपैथी, प्रसव के बाद पांच महीने तक हो सकती है।
रक्तचाप नियंत्रित करने के कुछ सुझाव :
– गर्भवती होने से पहले रक्तचाप के स्तर को जानें।
– नमक या सोडियम का अधिक सेवन रक्तचाप को बढ़ा सकता है, इसलिए, नमक कम खाएं।
– गर्भ धारण करने से पहले खूब चलें-फिरें और सक्रिय रहें, एक ही जगह पर बैठे रहने वाली महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान वजन बढ़ने की संभावना रहती है, साथ ही बाद में उच्च रक्तचाप का खतरा बढ़ सकता है।
– ऐसी कोई दवा न लें, जो रक्तचाप को बढ़ाती हो।
– यदि आपको पहले से ही उच्च रक्तचाप की शिकायत है, तो अपने डॉक्टर से उन सावधानियों के बारे में बात करें, जिनका पालन करने की आवश्यकता है।