कश्मीर के शोपियां जिले में 27 तारीख को सेना की फायरिंग में 2 पत्थरबाजों की मौत हो गई थी। अब इस मामले पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्य्मंत्री उमर अब्दुल्लाह ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि पुलिस के सेना पर एफआईआर दर्ज करने के बाद, अब सेना ने भी एक क्रॉस एफआईआर दर्ज कराई है। इसलिए हम मांग करते हैं कि इस मामले की एक उच्च स्तरीय विशेष जांच दल का गठन हो, ताकि वह इस फायरिंग मामले को देख सके। आगे पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि जब राज्य के मानवाधिकार आयोग ने फारुख दार को जीप से बांधने के मामले का संज्ञान लिया था, तब राज्य मानवाधिकार आयोग ने दार के लिए मुआवजा की घोषणा की थी। लेकिन आप(जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री) यह भी नहीं दे सकती थीं। आप ने लिखित उत्तर में लिखा था कि अगर हम पत्थरबाज को मुआवजा देते हैं, तो इसका मतलब होता कि सुरक्षाबल दोषी हैं।
जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री निर्मल सिंह ने उमर अब्दुल्लाह के बयान को दुर्वभाग्यपूर्ण करार दिया। उन्होंने कहा कि सेना हमारे देश के लिए बलिदान देती है। क्या सेना के पास कानून का इस्तेमाल करने का अधिकार नहीं है। वह मांग कर रहे हैं कि एफआईआर दर्ज करने के लिए सेना को फांसी दे देनी चाहिए, पर वह सभी लोग पत्थरबाजों के खिलाफ एक भी शब्द नहीं बोलेंगे।
इस फायरिंग के बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस ने सेना पर एफआईआर दर्ज की थी। जम्मू-कश्मीर पुलिस के इस एफआईआर का जवाब सेना ने क्रॉस एफआईआर दर्ज कारकर दिया था। सेना के इस एफआईआर में हमलावर लोगों का नाम नहीं है, जिन्होंने सेना पर जानलेवा हमला किया था। यह एफआईआर पुलिस द्वारा जांच करने के लिए है और संदिग्ध लोगों की पहचान करने के लिए है। जिन्होंने गुजर रहे सेना के काफिले पर हमला किया था।