न्यूज़ डेस्क | नवप्रवाह न्यूज़ नेटवर्क
पाकिस्तान की एक अदालत ने चौंकाने वाला फैसला करते हुए 13 वर्षीय ईसाई लड़की को उसके 44 वर्षीय अपहरणकर्ता अली अजहर को उसकी कस्टडी सौंप दी. नाबालिग लड़की का 13 अक्तूबर को कराची की रेलवे कॉलोनी से उसके घर से अपहरण कर लिया गया था. इसके बाद उसके साथ दुष्कर्म किया गया और फिर जबरन इस्लाम धर्म अपनाने और अपहरणकर्ता से शादी करने के लिए मजबूर किया गया था.
पाकिस्तान के पत्रकार बिलाल फारूकी ने ट्विटर पर अदालत के फैसले की पुष्टि की. अपने ट्वीट के साथ उन्होंने सिंध सरकार द्वारा जारी किया गया अगवा लड़की का जन्म प्रमाण पत्र अपलोड किया. इसमें उसकी उम्र 31 जुलाई, 2007 लिखी हुई है. इस बात के सबूत होने के बावजूद कि पीड़िता नाबालिग है, अदालत ने अपहरणकर्ता को निर्देश दिया कि वह लड़की को उसके द्वारा हस्ताक्षरित शपथ पत्र के आधार पर साथ रखे.
13-yr-old Christian girl Arzoo Raja is kidnapped in Karachi,converted & married to a 44-yr-old man.A court, on basis of affidavit signed under duress, sent her with him, despite docs confirming her age.Many even celebrate.Who’ll take us seriously when we’re drenched in hypocrisy? pic.twitter.com/uh22zxM7vD
— Bilal Farooqi (@bilalfqi) October 29, 2020
यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि सिंध प्रांतीय सभा ने 2014 में सिंध बाल विवाह निरोधक कानून बनाया था. ताकि बाल विवाह पर रोक लगाई जा सके और बालिग पुरुषों को तीन साल तक की सजा दी जा सके. आरोपी अली अजहर पहले से शादीशुदा है और उसके बच्चे भी हैं.
सिंध उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार, एसएचओ (स्टेशन हाउस ऑफिसर) को निर्देश दिया गया है कि उत्पीड़न को रोकने के लिए कोई भी गिरफ्तारी न की जाए और इसके बजाय विवाहित जोड़े को सुरक्षा प्रदान की जाए. अपने फैसले में, अदालत ने कहा कि नाबालिग लड़की ने इस्लाम धर्म अपना लिया और अपना नाम आरजू फातिमा रखा है. अदालत ने कहा कि लड़की ने अली अजहर से अपनी ’स्वतंत्र इच्छा’ और बिना किसी डर या खौफ के खुद शादी की है. इससे पहले, अली अजहर ने एक नकली विवाह प्रमाणपत्र पेश किया था, जिसमें कहा गया था कि लड़की 18 साल की है और नाबालिग नहीं है.