नवप्रवाह न्यूज नेटवर्क
ओबीसी आरक्षण बचाने के लिए अखिल भारतीय महात्मा फुले समता परिषद की अगुवाई में विभिन्न ओबीसी संगठन गुरुवार को पुणे की सड़कों पर उतर आये. इस कड़ी में शनिवारवाडा से जिलाधिकारी कार्यालय तक मोर्चा निकालने की घोषणा की गई थी. हालांकि महामारी कोरोना की पृष्ठभूमि पर पुलिस ने इसके लिए आखिरी क्षण तक अनुमति नहीं दी. इससे शनिवारवाडा पर आंदोलनकारियों और पुलिस के बीच संघर्ष की स्थिति बनी रही. उसी में पुलिस ने पूर्व सांसद समीर भुजबल समेत कई नेताओं को हिरासत में लिया. अंत में जगह पर ही आंदोलन करते हुए ओबीसी संगठनों ने अपनी मांगें रखीं.
– मोर्चा निकालने अड़े रहे आंदोलनकारी
मोर्चा निकालने की जिद पर आंदोलनकारी आखिर तक अड़े रहे वहीं पुलिस भी आखिर तक अनुमति न देने की भूमिका पर कायम रही. उनके बीच की चर्चा का कोई हल न निकलने से पुलिस ने भूतपूर्व सांसद समीर भुजबल, बापू भुजबल, राष्ट्रवादी महिला कांग्रेस की अध्यक्षा रूपाली चाकणकर, प्रितेश गवली, दीपक जगताप समेत कई आंदोलनकारी नेताओं को हिरासत में लिया. समीर भुजबल ने आंदोलन की भूमिका स्पष्ट करते हुए कहा कि, किसी भी समुदाय को आरक्षण देने पर अखिल भारतीय महात्मा फुले समता परिषद का न कोई विरोध है न कोई आपत्ति. हालांकि दूसरे समुदाय को आरक्षण देते वक्त ओबीसी आरक्षण को धक्का लगाने की साजिश को हम कामयाब नहीं होने देंगे.
– आंदोलन के जरिए रखी गई मांगे
ओबीसी आरक्षण बचाने के लिए राज्य सरकार की ओर से उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में वकील नियुक्त करने सहित विभिन्न मांगें इस आंदोलन के जरिये रखी गई. पूर्व सांसद समीर भुजबल के नेतृत्व में किये गए कस आंदोलन में अखिल भारतीय महात्मा फुले समता परिषद और ओबीसी आरक्षण बचाव कृति समिति के पदाधिकारी बड़ी संख्या में मौजूद थे. भूतपूर्व विधायक योगेश टिलेकर, नगरसेवक योगेश ससाणे, नगरसेवक गणेश कलमकर, डॉ. प्रल्हाद वडगावकर, एड मृणाल ढोले पाटील, एड मंगेश ससाणे, पूर्व नगरसेवक नंदला धिवर, राष्ट्रवादी काँग्रेस ओबीसी सेल के अध्यक्ष संतोष नांगरे, मिलिंद वालवाडकर, वडार समाज अध्यक्ष व पूर्व नगरसेवक दयानंद इरकल, वाणी समाज अध्यक्ष की माधुरी देव, साली समाज के अध्यक्ष महेश भागवत, नाई समाज अध्यक्ष के सोमनाथ काशीद, कैकाडी समाज के अध्यक्ष विजय जाधव, नंदकुमार गोसावी, धनगर समाज के नेता लक्ष्मण हाके, समता परिषद पुणे शहर अध्यक्ष पंढरीनाथ बनकर, शिवराम जांभुलकर समेत समस्त राज्यभर से ओबीसी समुदाय के नेता, पदाधिकारी और कार्यकर्ता इस आंदोलन में शामिल थे.