शहाबुद्दीन फर्जी एनकाउंटर की जांच करने वाले सीबीआई अदालत के न्यायाधीश लोया की मौत रहस्यमय तरीके हुई थी। सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा है कि न्यायाधीश लोया की मौत से जुड़े किसी भी मामले की सुनवाई अब बॉम्बे उच्च न्यायालय नहीं करेगा। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि यह एक बेहद गंभीर मामला है, इसलिए इस मामले से जुड़े सभी कागजातों की जांच की जाएगी। बॉम्बे उच्च न्यायालय से न्यायाधीश लोया से जुड़े दोनों मामलों को सर्वोच्च न्यायालय ट्रांसफर करने को कहा गया है।
सुनवाई के दौरान, महाराष्ट्र सरकार की तरफ से सर्वोच्च न्यायालय में दलील दी गई कि इस मामले में सरकार ने मीडिया में खबर आने के बाद निष्पक्ष जांच कराई है। राज्य सरकार ने आगे बताया कि पूछताछ के दौरान चारों न्यायाधीशों ने न्यायाधीश लोया की मौत को रहस्यमय नहीं माना है। बॉम्बे उच्च न्यायालय के तीन न्यायाधीशों की खंडपीठ ने इन चार न्यायाधीशों का बयान दर्ज किया है, जिसमें कहा गया है कि न्यायाधीश लोया की मौत हार्ट अटैक से हुई है।
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही सर्वोच्च न्यायालय में दो याचिकाएं दायर की गई थी। उसके बाद ही सर्वोच्च न्यायालय का यह निर्देश आया है। इन याचिकाओं को महाराष्ट्र कांग्रेस नेता तहसीन पूनावाला और महाराष्ट्र के पत्रकार बी एस लोन ने दायर किया है, जिसमें न्यायाधीश लोया की मौत की स्वतंत्र जांच कराने की मांग की है। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायाधीश ए एम खानविलकर और न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की बेंच इस मामले की सुनवाई 2 फरवरी को करेगी।