नृपेन्द्र कुमार मौर्य | navpravah.com
नई दिल्ली | गुरुवार, 19 सितंबर 2024 को वफ्फ संशोधन बिल पर संयुक्त संसदीय समिति की 5वीं बैठक में हंगामेदार स्थिति देखने को मिली। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने इस बैठक में गृह मंत्री अमित शाह के वक्फ से जुड़े बयान पर सवाल उठाए। उनका कहना था कि जब मामला संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में है, तो गृह मंत्री को बाहर इस विषय पर टिप्पणी करने का अधिकार नहीं है।
संजय सिंह ने बैठक में स्पष्ट किया कि क्या गृह मंत्री इस प्रकार के बयान देकर संसदीय समिति पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जब जेपीसी का गठन हो चुका है, सरकार को सार्वजनिक बयान देने से बचना चाहिए।
अमित शाह ने क्या कहा था?
गृह मंत्री अमित शाह ने वक्फ संशोधन बिल के संबंध में यह कहा था कि यह बिल वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार लाएगा और वक्फ ट्रस्टों को अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही प्रदान करेगा। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि इस बिल के माध्यम से वक्फ संपत्तियों के बेहतर उपयोग के लिए नीतिगत सुधार किए जाएंगे। उनके बयान का उद्देश्य यह बताना था कि यह संशोधन समाज के विभिन्न वर्गों के हित में है।
हालांकि, इस बयान पर संजय सिंह और असदुद्दीन ओवैसी ने सवाल उठाए, यह कहते हुए कि जब मामला जेपीसी में है, तो ऐसे बयानों की आवश्यकता नहीं थी।
इस बीच, पटना की चाणक्य लॉ यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर फैजान मुस्तफा ने बैठक में वक्फ बाय यूजर और वक्फ ट्रिब्यूनल का समर्थन किया। उन्होंने चेतावनी दी कि जिला प्रशासन (डीएम) को सभी अधिकार देना सही नहीं होगा, और केंद्र सरकार से अपील की कि वक्फ संशोधन में सावधानी बरती जाए। मुस्तफा ने जोर देकर कहा कि संशोधन उन बिंदुओं पर होना चाहिए जिन पर सभी की सहमति हो।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी बैठक में भाग लिया और 200 पृष्ठों की एक रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें वक्फ बिल में संशोधन के खिलाफ विस्तृत बिंदु दिए गए हैं। बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना सैफुल्लाह रहमानी और अन्य सदस्यों ने अपने विचार साझा किए, और इस मुद्दे पर एक संतुलित दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल दिया।
इस बैठक ने स्पष्ट किया कि वक्फ संशोधन बिल पर विचार-विमर्श अभी जारी है, और सभी पक्षों के विचारों को सुनना आवश्यक है।