नृपेन्द्र कुमार मौर्य | navpravah.com
नई दिल्ली | चीन में कुछ प्रमुख व्यक्ति अचानक गायब हो जाते हैं, और ये घटनाएँ अक्सर भ्रष्टाचार की जांच से जुड़ी होती हैं। बाओ फ़ान जैसे बैंकरों से लेकर चिन गांग, हू जिंताओ, और जैक मा जैसे प्रभावशाली लोगों तक, ये गुमशुदगी का एक समान पैटर्न दिखाती हैं।
चीन का वन पार्टी सिस्टम, जहां चाइनीज़ कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) का एकाधिकार है, इस प्रकार की घटनाओं को बढ़ावा देता है। जब किसी व्यक्ति का रुतबा बढ़ता है या वह सत्ता के लिए खतरा बनता है, तो उन्हें अक्सर निशाना बनाया जाता है। यह स्थिति माओ ज़ेदोंग के समय से चली आ रही है, जब पार्टी ने आलोचना करने वाले व्यक्तियों को ठिकाने लगाने का काम किया था।
चिन गांग, पूर्व विदेश मंत्री, और हू जिंताओ, पूर्व राष्ट्रपति, जैसे उच्च पदों पर बैठे व्यक्तियों का अचानक लापता होना दर्शाता है कि सरकार अपने भीतर के किसी भी संभावित खतरे को कैसे नकारती है। इसी तरह, जैक मा की कहानी भी इस प्रवृत्ति को दिखाती है। अलीबाबा के संस्थापक के रूप में उनकी सफलता ने उन्हें सार्वजनिक जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया, लेकिन जब उन्होंने चीनी बैंकों की आलोचना की, तो सरकार ने उन्हें निशाना बनाया।
उदाहरण के लिए, जैक मा, अलीबाबा के संस्थापक, भी इसी प्रकार की परिस्थितियों का सामना कर चुके हैं। जब उन्होंने चीनी बैंकों की आलोचना की, तो उनके खिलाफ सरकार ने कार्रवाई की, और वे 2020 के बाद से सार्वजनिक जीवन से गायब हो गए। इसी प्रकार, जाओ वेई, एक प्रसिद्ध अभिनेत्री, पर भी पश्चिमी जीवनशैली फैलाने का आरोप लगा था और वह भी कुछ समय के लिए गुम हो गई थीं।
बाओ फान : एक विशेष उदाहरण
बाओ फ़ान, 53 वर्ष के बैंकर, ने 2005 में चाइना रेनेसां की स्थापना की और जल्द ही ब्लूमबर्ग की 50 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में शामिल हो गए। उनकी सफलता की कहानी अचानक ही एक रहस्य में बदल गई जब फरवरी 2023 से उनका कोई अता-पता नहीं है। बताया गया कि उनसे भ्रष्टाचार के मामलों में पूछताछ चल रही है। उनकी संपत्ति, जो 2021 में 6,500 करोड़ रुपये से अधिक थी, अब घटकर केवल 400 करोड़ रुपये रह गई है। यह गिरावट केवल उनकी व्यक्तिगत कहानी नहीं है, बल्कि चीन में उच्च-profile व्यक्तियों के अचानक गायब होने के व्यापक पैटर्न का हिस्सा है।
बाओ के जैसे कई अन्य प्रमुख व्यक्ति भी इसी प्रकार की परिस्थितियों का सामना कर चुके हैं। चीन के पूर्व विदेश मंत्री चिन गांग और पूर्व राष्ट्रपति हू जिंताओ से लेकर उद्योगपति गुओ गुआंगचांग तक, सभी अचानक गायब हो गए हैं। इन गायबियों का एक सामान्य पैटर्न है: पहले उनकी बीमारी का हवाला दिया जाता है, फिर उनके खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच की बातें होती हैं।
चीन में वन पार्टी सिस्टम के कारण, जहां चाइनीज़ कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) की निरंतरता है, यह प्रवृत्ति कोई नई नहीं है। माओ ज़ेदोंग के समय से इस तरह के “शुद्धिकरण अभियान” चलाए जाते रहे हैं, जिसमें संभावित विरोधियों को टारगेट किया जाता था। बाओ फ़ान की गुमशुदगी इसी सन्दर्भ में देखी जा सकती है, जहां सत्ता के साथ-साथ ऑप्टिक्स को भी महत्वपूर्ण माना जाता है।
बाओ फ़ान का मामला विशेष रूप से ध्यान आकर्षित करता है, क्योंकि उनकी कंपनी ने कई पुरस्कार जीते और उनकी स्थिति बुलंद थी। लेकिन जैसे ही उनके खिलाफ जांच शुरू हुई, उनकी कंपनी की कीमत आधी हो गई। हाल में एक रिपोर्ट में यह सामने आया है कि ग़ायब होने के बाद सरकारी अधिकारियों ने उनकी कंपनी को 92 करोड़ रुपये ट्रांसफ़र करने के लिए कहा। यह तथ्य यह सवाल उठाता है कि बाओ की गुमशुदगी के पीछे क्या और कौन है।
बाओ फ़ान की कहानी एक सतर्कता का संदेश देती है कि कैसे सत्ता और राजनीति के खेल में एक व्यक्ति की पहचान, उसकी मेहनत और सफलता भी एक पल में धूमिल हो सकती है। इस तरह के मामलों से यह साफ़ होता है कि चीन की राजनीति में किस तरह से ताकतवर लोग, जिनका रुतबा बहुत ऊंचा होता है, भी अचानक गायब हो सकते हैं। उनकी गुमशुदगी केवल एक व्यक्तिगत दुखदाई घटना नहीं है, बल्कि यह एक प्रणालीगत समस्या का संकेत है, जो देश की राजनीतिक स्थिरता को प्रभावित करती है।