ब्यूरो,
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अफ्रीकी स्टूडेंट्स पर हमले की घटना को लेकर आज प्रेस कॉन्फ्रेस किया। इससे पहले उन्होंने अफ्रीकी छात्रों के एक प्रतिनिधि मंडल से मुलाकात की। प्रेस कॉन्फ्रेस में विदेश मंत्री ने मीडिया को बताया कि जिन जगहों में अफ्रीकी स्टूडेंट्स की संख्या ज्यादा है, वहां जागरूकता के लिए कार्यक्रम शुरू करेंगे, ताकि ऐसी घटना दोबारा न हो।
सुषमा ने जनता व मीडिया से इस हमले को नस्लीय जामा न पहनाने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि सीसीटीवी फुटेज से यह स्पष्ट है कि भारतीय नागरिक जो घटनास्थल पर मौजूद थे, उन्होंने ओलिवर को बचाने की हर संभव कोशिश की थी।
सुषमा स्वराज ने कहा कि” जिस दिन यह घटना हुई, मैंने एलजी से रिपोर्ट मांगी और मुझे बताया गया कि दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है। एक मां होने के नाते मैं कॉन्गो स्टूडेंट (ओलिवर) के माता पिता का दर्द समझ सकती हूँ, जिन्होंने विदेशी जमीन पर अपना बेटा खोया है।” उन्होंने कहा, “ओलिवर की मौत नस्लीय हमला नहीं है, इसे इस तरह देखे जाने की जरूरत नहीं है। मैंने अफ्रीकी स्टूडेंट्स के प्रतिनिधि मंडल और दो नेताओं से मुलाकात की, उनसे कहा कि घटना न सिर्फ दुर्भाग्यपूर्ण है, बल्कि कष्टप्रद भी है। मैंने उन्हें यह बताने की कोशिश की कि घटना बड़ी है, लेकिन यह नस्लीय भेदभाव का मामला नहीं है।”
इससे पहले सोमवार को विदेश सचिव एस. जयशंकर ने कहा था कि अफ्रीकी नागरिकों की सुरक्षा करना और उनमें भरोसे को बरकरार रखना सरकार की जिम्मेदारी है। विदेश सचिव ने भी सोमवार को अफ्रीकी छात्रों के एक समूह से मुलाकात की थी। उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी इस वक्त मोरक्को की यात्रा पर हैं। उन्होंने वहाँ कहा कि अफ्रीकी छात्रों पर हमला निंदनीय और दुर्भाग्यपूर्ण है।
गौरतलब है कि 20 मई को कांगो के नागरिक मसोन केटांडा ओलीवर की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई थी। एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक, छतरपुर इलाके में गुरुवार रात कुछ अफ्रीकी नागरिकों पर कथित तौर पर हमले हुए। पीड़ित के मुताबिक, यह एक नस्लीय हमला था।