शिखा पाण्डेय | Navpravah.com
तिब्बत के धर्मगुरु व नोबेल पुरस्कार विजेता दलाई लामा को लेकर भारत व चीन के बीच चल रहे विवाद के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने उन्हें भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान देने की मांग की है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने 6 अप्रैल से देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, ‘भारत रत्न’ के लिए दलाई लामा के पक्ष में एक अभियान शुरु किया है। इस अभियान के पक्ष में अब तक 5,000 हस्ताक्षर इकट्ठा किए जा चुके हैं। इस अभियान से अलग दलाई लामा को भारत रत्न दिए जाने को लेकर ऑनलाइन कैंपेन भी चल रहा है।
पश्चिमी कामेंग जिले के आरएसएस नेता ल्हुंदुप चोसांग ने यह अभियान शुरू किया है। उन्होंने कहा,”हमने अब तक 5000 हस्ताक्षर इकट्ठा किए हैं। 25,000 हस्ताक्षर हो जाने के बाद हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गुहार लगाएंगे।” चोसांग ने कहा कि हालांकि भारत रत्न, नोबेल शांति पुरस्कार से अलग है, मगर इस कदम से अंतर्राष्ट्रीय मंच पर सही संदेश जाएगा। उन्होंने कहा, ” दलाई लामा भारत रत्न के योग्य हैं, क्योंकि उन्होंने कहा है कि वह भारत के पुत्र हैं और इस महान देश के सबसे लंबे समय तक मेहमान रहकर सम्मानित महसूस करते हैं।”
चीन की नाराज़गी के बावजूद 5 अप्रैल को दलाई लामा अरुणाचल प्रदेश के तवांग मठ पहुंचे थे। मठ में बौद्ध भिक्षुओं तथा श्रद्धालुओं ने उनका बेहद गर्मजोशी के साथ स्वागत किया। प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू तिब्बती धर्मगुरु के साथ थे। दलाई लामा के दौरे के मद्देनजर पूरे तवांग को भारत तथा तिब्बत के झंडों तथा फूलों के अलावा, रंगीन प्रार्थना झंडों से सजाया गया। सड़कों को रंगा गया और नालों की सफाई की गई। आपको बता दें कि यह मठ भारत का सबसे बड़ा और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बौद्ध मठ है।
दरअसल दलाई लामा तवांग से अरुणाचल प्रदेश का एक सप्ताह लंबा धार्मिक दौरा चार अप्रैल को ही शुरू करने वाले थे। लेकिन, खराब मौसम के कारण उन्हें सड़क मार्ग का सहारा लेना पड़ा, क्योंकि उनका हेलीकॉप्टर असम के डिब्रूगढ़ से उड़ान नहीं भर सका। दलाई लामा तवांग मैथ में ही ठहरे हैं। चीन व भारत की सीमा को विभाजित करने वाले मैकमोहन लाइन (वास्तविक नियंत्रण रेखा) से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित तवांग में सुरक्षाबलों को चौकस रखा गया है।