शिखा पांडेय,
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज से शुरू हो रही अपनी पाँच देशों अफगानिस्तान, कतर, स्विट्जरलैंड, अमेरिका और मेक्सिको की 6 दिवसीय यात्रा के लिए रवाना हो गए हैं। उनकी इस यात्रा का मुख्य मकसद इन देशों के साथ भारत के व्यापार, ऊर्जा और सुरक्षा सहयोग को विस्तार देना तथा संबंधों को नई गति प्रदान करनी है।
अपने इस विदेश प्रवास के दौरान मोदी 48 सदस्यीय परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत की सदस्यता के लिए स्विट्जरलैंड का सहयोग मांग सकते हैं, क्योंकि ये दोनों इस प्रतिष्ठित समूह के मुख्य सदस्य हैं। वाशिंगटन में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ मोदी की बातचीत के दौरान भी यह मुद्दा उठ सकता है।
अफगान-भारत मित्रता सेतु का करेंगे उदघाटन-
अपनी विदेश यात्रा के पहले पड़ाव के तौर पर प्रधानमंत्री मोदी अफगानिस्तान जाएंगे, जहां हेरात प्रांत में वह अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी के साथ अफगान-भारत मित्रता सेतु का भी उद्घाटन करेंगे। पहले इसे सलमा बांध के नाम से जाना जाता था। दोनों नेता अफगानिस्तान में मौजूदा हालात सहित कई मुद्दों पर बातचीत करेंगे। अफगानिस्तान से मोदी कतर जाएंगे और फिर वहां से रविवार को दो दिन के लिए स्विट्जरलैंड जाएंगे। स्विट्जरलैंड के नेतृत्व के साथ बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री वहां के बैंकों में भारतीय नागरिकों के जमा कालेधन के मुद्दे को भी उठा सकते हैं।
एनएसजी में भारत की सदस्यता की दावेदारी के बारे में विदेश सचिव जयशंकर ने कहा, “भारत इस प्रतिष्ठित समूह का सदस्य बनने के लिए कई वर्षों से कोशिश करता आ रहा है और इसको लेकर काफी प्रगति हुई है। हम इस मुद्दे को लेकर एनएसजी के सदस्यों के साथ संपर्क में हैं और स्विट्जरलैंड इस समूह का महत्वपूर्ण सदस्य है। ऐसे में निश्चित तौर पर यह मुद्दा बातचीत में आएगा।” भारत ने गत 12 मई को एनएसजी की सदस्यता के लिए औपचारिक रूप से आवेदन किया था।
स्विट्जरलैंड से प्रधानमंत्री छह जून को वाशिंगटन जाएंगे। वह अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित करने वाले हैं। ऐसा करने वाले वह पांचवें भारतीय प्रधानमंत्री होंगे। वह 6 जून को ‘अरलिंगटन नेशनल सिमिटरी’ में श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। इसके बाद वह कई अमेरिकी थिंकटैंक के प्रमुखों से मुलाकात करेंगे। वह प्रवासी भारतीयों के एक कार्यक्रम में भी शिकरत करेंगे।