सौम्या केसरवानी । Navpravah.com
ट्रंप प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि चीन के वीटो के कारण भारत परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की सदस्यता हासिल नहीं कर पाया और अमेरिका इस समूह में भारत की सदस्यता की वकालत करता रहेगा, क्योंकि भारत इसके सभी मानदंडों को पूरा करता है।
भारत को अमेरिका और इस समूह के ज्यादातर पश्चिमी देशों का समर्थन प्राप्त है, लेकिन चीन अपने इस रूख पर कायम है कि नए सदस्य को परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर करने चाहिए, जिससे इस समूह में भारत का प्रवेश मुश्किल हो गया है।
दक्षिण और मध्य एशिया के लिए उप विदेश मंत्री एलिस वेल्स ने कहा कि, परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह आम सहमति पर आधारित संगठन है, चीन के विरोध के कारण भारत इसकी सदस्यता हासिल नहीं कर पा रहा है।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि, हमारा विचार है कि चीन के वीटो के कारण हम भारत के साथ अपने सहयोग को सीमित नहीं करेंगे, निश्चित तौर पर हम एसटीए के दर्जे के साथ आगे बढ़े हैं और हम मानते हैं कि भारत एनएसजी की सभी योग्यताओं को पूरा करता है।
उन्होंने कहा कि भारत को कूटनीतिक व्यापार प्राधिकार (एसटीए-1) का दर्जा देकर अमेरिका ने उसे अमेरिकी के निकटतम सहयोगियों की सूची में रख दिया है, विदेश विभाग की वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि, भारत के साथ परमाणु समझौते की प्रक्रिया शुरू हुए दस साल पूरे होने वाले हैं, वेस्टिंगहाउस दिवालियापन से बाहर निकल रही है अब हमारे पास इस समझौते को पूरा करने का अवसर है।