‘मैं इस्तीफा देता हूं…’, कोरे कागज़ पर बांग्लादेशी हिंदू प्रोफेसर्स से लिया जा रहा इस्तीफा

इशिका गुप्ता| navpravah.com 

नई दिल्ली| बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की परेशानियां खत्म होने के नाम नहीं ले रही। पहले उनके खिलाफ हिंसा किया गया और अब जबरन इस्तीफा लिया जा रहा है।

हाल ही में बांग्लादेश में हिंदू शिक्षकों पर इस्तीफा देने के लिए बढ़ते दबाव ने चिंता का माहौल बना दिया है। गणित विभाग के प्रोफेसर डॉ. चंद्रनाथ पोद्दार और अन्य कई शिक्षकों को जबरन इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया। कुछ हिंदू प्रोफेसर अब जब सुरक्षा कारणों से कॉलेज नहीं आ रहे तो उन्हें उनके घर जाकर परेशान किया जा रहा है।

इसी तरह सरकारी बकरगंज कॉलेज की प्रिंसिपल शुक्ला रॉय को भी केवल एक साधारण कागज पर “मैं इस्तीफा देती हूं” लिखवाकर इस्तीफा दिलवाया दिया गया। ऐसे बहुत से हिन्दू प्रोफेसर है जो रोज इन्ही तरह के समस्याओं का सामना कर रहें हैं। कुछ शिक्षकों ने मीडिया से बात की और बांग्लादेश में हिंदू शिक्षकों के इस्तीफे की पुष्टि की. संजय कुमार मुखर्जी, एसोसिएट प्रोफेसर, लोक प्रशासन और गवर्नेस स्टडीज विभाग, काज़ी नजरुल विश्वविद्यालय, बांग्लादेश ने कहा, “दादा, मैं संजय कुमार मुखर्जी, एसोसिएट प्रोफेसर, लोक प्रशासन और गवर्नेस स्टडीज विभाग, काज़ी नजरुल विश्वविद्यालय, बांग्लादेश हूं. मुझे प्रॉक्टर और विभागाध्यक्ष के पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया. हम इस समय बहुत असुरक्षित हैं.”

बांग्लादेश में हिंदू समुदाय की समस्याएँ दिन-ब-दिन गंभीर होती जा रही हैं। हमलों और अत्याचारों का सामना करने के बाद, अब उन्हें सरकारी नौकरियों से इस्तीफा देने के लिए बाध्य किया जा रहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार, 5 अगस्त से अब तक लगभग 50 हिंदू शिक्षाविदों को इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया है।

इस गंभीर स्थिति की जानकारी बांग्लादेश छात्र एक्य परिषद ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी। उनके अनुसार, उन्होंने उन शिक्षकों की सूची प्राप्त की है जिन्होंने इस्तीफा दिया है। कुछ शिक्षकों ने निजी रूप से मीडिया को बताया कि बांग्लादेश में हिंदू शिक्षकों पर इस्तीफा देने का दबाव वास्तविक और चिंताजनक है। काज़ी नजरुल विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर संजय कुमार मुखर्जी ने कहा कि उन्हें प्रॉक्टर और विभागाध्यक्ष के पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया और वे इस समय बेहद असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।

बांग्लादेश में हिंदू शिक्षकों के साथ हो रहे इस अत्याचार ने न केवल उनकी सुरक्षा बल्कि उनके अधिकारों को भी सवालों के घेरे में ला खड़ा किया है।

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