आकाश मिश्र | Navpravah.com
प्रयागराज | कुंभ 2019 से पहले रविवार को प्रयागराज में पहली बार किन्नर अखाड़े ने देवत्व यात्रा (पेशवाई) निकाली। इससे पहले आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी की अगुवाई में राम भवन चौराहे पर स्थित भगवान शंकर के मंदिर में पूजा-अर्चना की गयी यह पेशवाई अलोपी बाग स्थित शंकराचार्य आश्रम में पूजन के बाद आगे बढ़ी सबसे आगे हाथों में तलवार लिए महामंडलेश्वर ऊंट पर सवार होकर निकलीं उनके पीछे-पीछे देश के कोने-कोने और विदेश से आए किन्नर अखाड़े के पदाधिकारी, पीठाधीश्वर, महंत आदि रथ पर सवार होकर चल रहे थे।
किन्नर अखाड़े की पेशवाई में आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी लक्ष्मी नरायण त्रिपाठी के अलावा अखाड़े की पीठाधीश्वर प्रभारी उज्जैन की पवित्रा माई, उत्तर भारत की महामंडलेश्वर भवानी मां, अन्तर्राष्ट्रीय महामंडलेश्वर डॉक्टर राज राजेश्वरी पहुंचीं।
वहीं जयपुर की मंडलेश्वर पुष्पा माई, दिल्ली की महामंडलेश्वर कामिनी कोहली और पश्चिम बंगाल की मंडलेश्वर गायत्री माई, महाराष्ट्र नासिक की मंडलेश्वर संजना माई समेत बड़ीं संख्या में किन्नरों ने हिस्सा लिया।
आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने बताया कि दो बड़ी परीक्षाओं के कारण यात्रा का रूट बदलना पड़ा इससे पहले कुंभ मेला 2019 क्षेत्र के सेक्टर-12 संगम पूर्वी पटरी पर लगे शिविर में शनिवार को यज्ञशाला पूजनम ध्वजारोहण किया गया।
उन्होंने बताया कि सेक्टर-6 के नगवासुकी थाने के पीछे स्थापित संस्था ओम नमः शिवाय के शिविर में एक साथ 50,000 से ज्यादा लोगों के लिए भंडारा बनेगा। तीर्थराज प्रयाग से किन्नर अखाड़े का देश और विदेश में विस्तार करते हुए सनातन धर्म को नई दिशा दी गई।
सभी 13 अखाड़ों की संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने पहले किन्नर अखाड़े को मान्यता देने से इनकार कर दिया था। विरोध के बावजूद भी किन्नर अखाड़े ने यह कहते हुए इस महाकुंभ में शिरकत की कि वह उप देवता हैं, इसलिए उन्हें किसी से मान्यता की जरूरत नहीं है। इस देवत्व यात्रा को देखने के लिए सड़क के दोनों किनारों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लगी रही लोग इन पर फूल बरसा रहे थे इस यात्रा में हाथी, घोड़ा, ऊंट भी शामिल थे ।