मध्य प्रदेश के दतिया के भाण्डेर नगर में इन दिनों क्रशर प्लांट उद्योग बहुत अच्छी तरह से फल फूल रहा है। शहर के चिरगांव रोड एवं सरसई रोड पर दर्जनों क्रेसर प्लांट लगे हुए हैं। जिनके कारण प्लांट के इर्दगिर्द स्थित गॉवों के लोग सदैव दहशत के साये में जीवन यापन कर रहे हैं। क्योंकि प्लांट पर बारूदी सुरंग के द्वारा स्टोन ब्लास्टिंग की जाती है। जिससे आसपास के घर मकान मंदिर मस्जिद एवं अन्य एतिहासिक स्मारकों की दीवारें हिल जाती है। साथ ही क्रेसर प्लांट से उड़ने बाली स्टोन डस्ट आसपास के किसानों की कृषि भूमि को भी बंजर बना रही है।
क्रेसर प्लांट की बारूदी ब्लास्टिंग के दुष्प्रभाव क्षेत्र के प्रमुख धार्मिक स्थल एवं प्राचीन स्मारकों पर देखने को मिला है। अभी हाल ही में दो दिवस पूर्व केसरी सरकार मंदिर के पास स्थित क्रेसर प्लांट के ब्लास्टिंग से मंदिर के निर्माणाधीन श्रीराम मंदिर की दीवारों के टाइल्स उखड़ गये या चटक गये। साथ ही 10 किलो ग्राम से 20 किलोग्राम तक वजन के पत्थर हवा में उछल कर जमीन पर गिरते हैं। दुर्भाग्य से यदि वहां कोई व्यक्ति फंस जाये तो उसकी मौत निश्चित है। इसलिये प्रशासन से अनुरोध है कि इस प्रकार की ब्लास्टिंग पर रोक लगाई जाये।
केसरी सरकार मंदिर के अलावा प्रभावित होने वाले धार्मिक स्थलों एवं प्राचीन स्मारकों मे प्रमुखतः रिछारी सरकार मंदिर, पोला पहाड़ स्थित हनुमान मंदिर, मिश्र जी की बगिया बाले हनुमान जी,चित्रगुप्त मंदिर, लक्षमण मंदिर,सेवला साहब, बड़ी ईदगाह,एवं अठखम्वा जो पौराणिक महत्व का एवं नगर की प्राचीन धरोहर है। एक प्रमुख एतिहासिक स्मारक है। यह सब नष्ट होने के कगार पर है।
क्रेसर प्लांट के आसपास के ग्रामीणों से जब इस संदर्भ में चर्चा की गई तो सालोन के ही निवासी बताते हैं कि ब्लास्टिंग अक्सर रात को होती है। कभी कभी दिन में भी हो जाती है। हम लोग हमेशा भययुक्त जीवन यापन कर रहे हैं। डर लगता है कि कहीं ब्लास्टिंग के समय पत्थर जो हवा मे तैर रहा होता है कहीं मेरे ऊपर न गिर जाये। कई बार तो ब्लास्टिंग के समय हम लोग खेतों में भी होते हैं। तब हमारे इर्दगिर्द भी पत्थर गिर जाते हैं। लेकिन अब भय के साथ जीने की आदत पड़ गई है। उपरोक्त ग्रामीणों ने प्रशासन से अनुरोध किया है कि ब्लास्टिंग प्रथा पर तत्काल रोक लगाई जाये। ताकि जनजीवन एवं प्राचीन धरोहर, इनकी जद मे आने बाले समस्त धार्मिक स्थल,प्राचीन स्मारक आदि सुरक्षित रहें।