ब्यूरो | navpravah.com
पद्मश्री से सम्मानित हिंदी और मैथिली साहित्य की प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. उषा किरण खान का 82 वर्ष की आयु में निधन हो गया। डॉ. खान विगत कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रही थीं, जिसके बाद उन्हें इलाज के लिए पटना के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। शनिवार को लगभग दोपहर के 3 बजे वह गोलोक वासी हो गई। उनके निधन की खबर से मिथिलांचल समेत संपूर्ण देश के साहित्य प्रेमी सहित साहित्यकारों में शोक की लहर दौड़ गई है। उनके लेखन में मिथिला का इतिहास, कला, संस्कृति और समाज का सौंदर्य स्पष्ट रूप से झलकता था।
डॉ उषा किरण खान का जन्म दरभंगा जिले के हायाघाट प्रखंड अंतर्गत मझौलिया गांव में 24 अक्टूबर 1945 में हुआ था। उनके पिता जगदीश चौधरी स्वतंत्रता सेनानी थे। डॉ. ऊषा किरण ने पटना विश्वविद्यालय से भारतीय प्राचीन इतिहास एवं पुरातत्त्व विज्ञान में पीजी की डिग्री ली। इसके बाद उन्होंने मगध विश्वविद्यालय से पीएचडी किया।
साहित्यिक रुचि को देखते हुए उन्होंने 1977 में लेखन की शुरुआत की। संपूर्ण जीवन काल में उनके द्वारा रचित 50 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हुई जिनमें उपन्यास, कहानी, नाटक और बाल-साहित्य जैसी विविध विधाएँ सम्मिलित हैं। उनकी विभिन्न रचनाओं का अनुवाद उड़िया, बांग्ला, उर्दू एवं अंग्रेजी समेत अनेक भाषाओं में किया जा चुका हैं। भामती, सृजनहार, हसीना मंज़िल, घर से घर तक उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं। ‘विवश विक्रमादित्य’, ‘दूबधान’, ‘गीली पांक’, ‘कासवन’, ‘जलधार’, ‘जनम अवधि’ जैसी कई रचनाएं उनकी कृतियों में शामिल हैं।
अपने रचनात्मक एवं सृजनात्मक लेखन कार्यों के लिए डॉ. ऊषा किरण खान को वर्ष 2015 में देश के सर्वोच्च सम्मानों में शुमार ‘पद्मश्री’ से विभूषित किया गया। वर्ष 2011 उन्हें मैथिली उपन्यास ‘भामति’ एक प्रेम कथा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला, यह पुरस्कार राष्ट्रीय साहित्य अकादमी द्वारा प्रदान किया गया था। 2019 में भारत-भारती और 2020 में उन्हें प्रबोध साहित्य सम्मान मिला। इसके अलावा उन्हें राष्ट्रभाषा परिषद का हिंदी सम्मान, राजभाषा विभाग का महादेवी वर्मा सम्मान, दिनकर राष्ट्रीय पुरस्कार, कुसुमांजली पुरस्कार, विद्या निवास मिश्र पुरस्कार सहित कई अन्य प्रतिष्ठित पुरस्कार-सम्मान से नवाजा जा चुका हैं।
अगर बात डॉ खान के परिवार की करे तो उनका विवाह सुपौल-बिरौल निवासी रामचंद्र खां से हुईं थीं जो भूतपूर्व IPS अधिकारी थे, जिनका निधन वर्ष 2022 में हो चुका हैं।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. उषा किरण खान के निधन पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है। मुख्यमंत्री ने अपने शोक संदेश में कहा कि स्व. डॉ. उषा किरण खान प्रसिद्ध साहित्यकार एवं लेखिका थीं। उन्होंने हिन्दी एवं मैथिली साहित्य में कई उपन्यासों, कथाओं की रचना की थी। डॉ. उषा किरण खान को पद्मश्री तथा साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। डॉ. उषा किरण खान के निधन से हिन्दी एवं मैथिली साहित्य जगत को अपूरणीय क्षति हुई है। मुख्यमंत्री ने दिवंगत आत्मा की चिर शांति तथा उनके परिजनों को दुख की इस घड़ी में धैर्य धारण करने की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की है।