ब्यूरो | navpravah.com
भारत की कतर में एक बड़ी डिप्लोमैटिक जीत देखने को मिली है। कतर में मौत की सजा पाए भारतीय नौसेना के पूर्व आठ कर्मचारियों को रिहा कर दिया गया है। इससे पूर्व भारत के राजनयिक हस्तक्षेप के बाद उनके मृत्युदंड की सजा को एक लंबी जेल की अवधि में बदल दिया गया था। कतर ने जब भारतीय नेवी के पूर्व सैनिकों को फांसी की सजा सुनाई थी, तो पूरा देश इनके लिए चिंतित हो गया था वहीं सियासी गलियारों में भी संपूर्ण विपक्ष एक सुर में वर्तमान सरकार से उनके सकुशल वापसी की मांग करने लगा।
परिजनों की ओर से रिहाई और सुरक्षित वापसी की गुहार लगाई जा रही थी। उस वक्त सरकार के अधीन विदेश मंत्रालय की ओर से परिजनों एवं समस्त देशवासियों को आश्वस्त किया गया था कि वह यथा संभव सभी राजनयिक चैनलों का इस्तेमाल करेगा और इन्हें कानूनी सहायता की व्यवस्था देगा एवं सकुशल भारत ले कर आएंगे। आज विदेश मंत्रालय ने अपना वादा पूरा किया एवं सभी पूर्व नौसैनिक सकुशल भारत लौट आए हैं। विदेश मंत्रालय द्वारा जारी आधिकारिक बयान में बताया गया कि उनमें से सात भारत लौट आए हैं। सात भारतीयों में नवतेज सिंह गिल, सौरभ वशिष्ठ, पूर्णेंदु तिवारी, बीरेंद्र कुमार वर्मा, सुगुनाकर पकाला, संजीव गुप्ता, अमित नागपाल और रागेश। ये भी एक निजी कंपनी ‘अल दहरा ‘कंपनी के लिए काम कर रहे थे।
ये अक्टूबर 2022 से कतर की जेल में बंद थे। कतर ने इन पर पनडुब्बी से जुड़ी कथित जासूसी का आरोप लगाया था, जिसके बाद इनकी गिरफ़्तारी हुई और अक्टूबर 2023 में इन्हे फांसी की सजा सुनाई गई, यह सभी आठ लोग भारतीय नौसेना के रिटायर्ड कर्मी हैं।
भारत लौटे पूर्व नौसैनिकों ने रिहाई के लिए पीएम मोदी की खूब प्रशंसा की एवं धन्यवाद कहा। एक पूर्व नौसैनिक ने कहा कि यदि पीएम मोदी और भारत सरकार उनकी रिहाई सुनिश्चित करने के लिए हस्तक्षेप और निरंतर राजनयिक प्रयास नहीं करती तो उन्हें रिहा नहीं किया गया होता। यह भारत सरकार की निरंतर राजनयिक हस्तक्षेप ही थी, जिसने मौत की सजा को जेल की सजा में बदल दिया था।
समाचार एजेंसी ANI से बात करते हुए एक पूर्व नौसैनिक ने कहा कि आखिरकार सुरक्षित और स्वस्थ घर वापस आकर मुझे राहत और खुशी महसूस हो रही है। मैं प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद देना चाहता हूं क्योंकि यह संभव नहीं होता अगर हमारी रिहाई सुनिश्चित करने के लिए उनका व्यक्तिगत हस्तक्षेप नहीं होता। मैं अपना आभार व्यक्त करना चाहता हूं।