दिल्ली पहुंचा कोनियावासियों का संघर्ष, नितिन गडकरी ने दिया आश्वासन

•दो दशक से उठ रही है तीन तरफ से गंगा से घिरे भदोही के कोनिया इलाके में पक्के पुल निर्माण की मांग

•स्थानीय प्रतिनिधियों के प्रयास अब तक असफल, शीर्ष नेताओं के वादे निकले चुनावी झुनझुने

स्पेशल रिपोर्ट: रामकृष्ण पाण्डेय

भदोही (उप्र) | तीन तरफ से गंगा से घिरे जिले के अंतिम छोर पर स्थित डीघ ब्लॉक क्षेत्र का कोनिया आज भी उपेक्षित है और विकास की बाट जोह रहा है। कोनिया के तुलसीकला-डेंगुरपुर गंगा घाट पर पक्के पुल की मांग करीब तीन दशक से चली आ रही है। युवाओं के जुड़ने के बाद पिछले दस-बारह सालों में इसकी मांग व समर्थन को अत्यधिक बल मिला। बात नेताओं तक पहुंचीं, लेकिन स्थानीय जनप्रतिनिधियों से लेकर बड़े नेताओं तक ने चुनाव के दौरान इसे मुद्दा बनाकर झूठे वादे की भट्ठी में क्षेत्रवासियों को झोंक दिया। नेताओं ने ढिंढोरा पीटा, लेकिन कसौटी पर खरे नहीं उतरे।

लोगों की उम्मीद, ख़याली पुलाव और सपना हर बार चकनाचूर होता रहा। पक्के पुल की आस आज भी अधूरी है और लोग उसकी मांग में जूझ रहे हैं। इसके संघर्ष की लड़ाई अब दिल्ली पहुंच गई है। संघर्षरत युवाओं के एक प्रतिनिधि मंडल ने केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात कर पक्के पुल के निर्माण के सम्बंध में सार्थक वार्ता की है, उन्हें ज्ञापन सौंपा है। प्रतिनिधि मंडल ने गडकरी को कोनिया की भौगोलिक स्थिति एवं समस्यायों से भी रूबरू कराया और पक्के पुल के निर्माण से होने वाले लाभ, विकास को अल्प समय में विवेचित करते हुए मांग को पुरजोर तरीके से रखा।

संघर्ष के तवे पर सिंक चुके यहां के लोग नेताओं के झूठे वादे, प्रपंच एवं मक्कारी को भली-भांति जान समझकर ढीठ से हो चुके हैं। उनके अनुसार, उन्होंने मंत्री नितिन गडकरी को बड़े नेताओं के मंचीय वादे बताए और खुद गडकरी के ही इस पुल के सपने दिखाने वाले वीडियो भी दिखाये। फिलहाल केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने उनकी बातों को सुन और मांग पत्र को लेकर पूर्णतया आश्वस्त किया है। उन्होंने कहा कि जल्द ही कोनिया में पक्के ब्रिज का निर्माण कराया जाएगा। फिलहाल यह तो भविष्य बताएगा कि अब तक नेताओं की वादाखिलाफी झेल रहे यहां के लोगों के सपने की उड़ान को पंख लग पाती है और मंत्री को सौंपी उम्मीद की यह पाती फलीभूत होती है या नही!

प्रतिनिधि मंडल ने केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा (टेनी) एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता सतीश उपाध्याय से भी मुलाकात कर क्षेत्र की समस्यायों से अवगत कराया। प्रतिनिधि मंडल में प्रमुख रूप से शामिल पवन तिवारी, भाजपा नेता डॉ. अजय शुक्ला, मंटू पाण्डेय, विपिन पाण्डेय (एडवोकेट) नितेश सिंह, राकेश पांडेय, पवन पांडेय, टिंकू शुक्ला एवं गुलाब तिवारी आदि शामिल रहे।

पुल निर्माण से कम होगी दो प्रदेशों की दूरी-

भदोही के डीघ ब्लॉक क्षेत्र के तुलसीकला (धनतुलसी)-डेंगुरपुर गंगा घाट पर पक्के पुल निर्माण की मांग लगातार उठ रही है। पिछले दो दशकों से यह डीघ ब्लॉक क्षेत्र की बुनियादी जरूरत के तौर पर उभरकर सामने आई है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने भी मांग को लेकर सक्रियता दिखाई है लेकिन बड़े नेताओं के वादे अब तक झुनझुने ही निकले। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, सांसद व बीजेपी के स्टार प्रचारक रवि किशन शुक्ला से लेकर तमाम नेताओं ने मंच से इसको लेकर वादे किये हैं। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या तो दो-तीन दफा वादा से लेकर और उद्घाटन तक करने की बात तक कह चुके हैं। लेकिन डिप्टी सीएम का ‘सोमवार’ नही आया। चार-पांच चुनावों से यह पुल स्थानीय चुनावी मुद्दा रहा है। लेकिन ठोस कदम अब तक इस दिशा में नही उठ सके।

अब तक के धोखे ने उम्मीद पाले कोनियावासियों के जहन में साल 1977 में आये मोहम्मद रफी साहब के गीत..क्या हुआ तेरा वादा, वो कसम वो इरादा..की भी याद दिला दी। किंचित सियासी पुलाव से ऊबकर संघर्षशील टीम ने हाल में ही 10 किलोमीटर लम्बी ‘पुल नहीं तो, वोट नहीं’ के नारे संग वोट बहिष्कार समर्थन यात्रा निकाली थी। बता दें कि इस पुल के निर्माण से गंगा उस पार न सिर्फ मांडा क्षेत्र के जरिये प्रयागराज की दूरी कम होगी अपितु सीधे-सीधे मध्य प्रदेश से भी ठोस जुड़ाव हो जाएगा। इसका लाभ भदोही जनपद ही नहीं, वरन प्रयागराज गंगापार के काफी हिस्से, जौनपुर जनपदवासियों एवं कुछ अन्य उत्तरी पूर्वी जनपदों को भी खास तौर पर पहुंचेगा। यातायात व व्यावसायिक गति को भी बढ़ावा मिलेगा, तो रोजगार का सृजन भी होगा। अब तक उपेक्षा का शिकार मां गंगा की गोद में बसे भदोही के कोनिया-कोइरौना के तीन दर्जन से अधिक गांवों में विकास का पहिया दौड़ पड़ेगा।

बता दें कि तुलसीकला-डेंगुरपुर पक्के पुल मांग स्थल से पूर्व में अन्य निर्मित पुल काफी दूर हैं। कोनिया क्षेत्र से प्रयागराज के झूंसी-दारागंज शास्त्री ब्रिज की दूरी लगभग 65 किलोमीटर जबकि मिर्जापुर गंगा नदी पर बने पक्के पुल की दूरी लगभग 55 किलोमीटर होगी। संघर्षरत लोगों का कहना है कि वह इसके मांग की लड़ाई आगे भी और मजबूती से लड़ते रहेंगें।

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