ब्यूरो | navpravah.com
दरभंगा | मैथिली के प्रख्यात एकांकीकार, कुशल कथाकार और शिक्षाविद उपेंद्र झा का शनिवार देर शाम दरभंगा के एक निजी अस्पताल में 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया। श्री झा लंबे समय से बीमार चल रहे थे। रविवार को उनका अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव मधुबनी जिले के महरैल गांव में हुआ। मुखाग्नि उनके ज्येष्ठ पुत्र डा. दिलीप कुमार झा ने दी। उपेंद्र झा का जन्म 1938 में मधुबनी जिले के महरैल गांव में हुआ था।
स्वर्गीय झा ने झंझारपुर के केजरीवाल स्कूल से मैट्रिक, दरभंगा के सीएम कालेज से स्नातक और बिहार विवि से एमए किया। इसके बाद उपेंद्र झा ने अपनी कर्मस्थली सहरसा को चुना। वहीं सहरसा कॉलेज में उन्होंने अर्थशास्त्र विभाग में लगभग 33 साल तक अध्यापन कार्य किया। वे 1998 में सेवानिवृत के समय यूनिवर्सिटी प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष थे।
उनकी पहली कथा मस्तान पत्रिका बागमती में प्रकाशित हुई तथा अंतिम कथा भंग मूर्ति मिथिला मिहिर में प्रकाशित हुई। अस्सी के दशक से लेखन कार्य में सक्रिय उपेंद्र झा की तीन दर्जन से अधिक कथा व एकांकी प्रकाशित हो चुकी है। इनमें से कई विश्वविद्यालय के मैथिली पाठ्यक्रम में भी शामिल है।