एनपी न्यूज़ डेस्क | Navpravah.com
महावीर फोगाट अपनी बेटी बबीता का कॉमनवेल्थ गेम्स में सिल्वर मेडल जीतने के अभियान का साक्षी नहीं बन पाये हैं। क्योंकि वह मुकाबला स्थल तक पहुंचने का टिकट हासिल नहीं कर पाये हैं।
इस पूरे घटनाक्रम से दुखी बबीता ने कहा। मेरे पिताजी पहली बार मेरा मुकाबला देखने के लिये आये थे, लेकिन मुझे दुख है कि सुबह से यहां होने के बावजूद वह टिकट हासिल नहीं कर पाये। एक खिलाड़ी दो टिकट का हकदार होता है। मैंने अपनी तरफ से बहुत कोशिश की, लेकिन उन्हें बाहर बैठना पड़ा।
महावीर फोगाट आखिर में तब अंदर पहुंच पाये जब आस्ट्रेलियाई कुश्ती टीम बबिता की मदद के लिये आगे आयी और उन्होंने उसे दो टिकट दिए। बबीता ने कहा, जब मैंने आस्ट्रेलियाई टीम से दो पास देने के लिये कहा तब वह अंदर आ पाये।
आस्ट्रेलियाई टीम ने मेरी उन्हें एरेना तक लाने में मदद की, मैंने आईओए से लेकर दल प्रमुख तक हर किसी से मदद के लिये गुहार लगाई। मैं रात दस बजे तक गुहार लगाती रही। हालांकि आज मेरा मुकाबला था और मुझे विश्राम करने की जरूरत थी।
उन्होंने कहा, इससे बहुत बुरा लगता है। मैंने दल प्रमुख सहित हर किसी से बात की थी, दल प्रमुख विक्रम सिसौदिया ने कहा कि पहलवानों के लिये जो टिकट थे। उन्हें उनके कोच राजीव तोमर को दिया गया था और इन्हें बांटना उनकी जिम्मेदारी थी।
उन्होंने कहा, हमें राष्ट्रमंडल खेल महासंघ से जो टिकट मिले थे। हमने उन्हें संबंधित कोच को दे दिया था। मुझे नहीं पता कि उसे टिकट क्यों नहीं मिल पाया। लगता है कि मांग काफी अधिक थी।