तमिलनाडु: करूणानिधि की मौत के बाद शुरू हुई गद्दी की लड़ाई

करुणानिधि
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सौम्या केसरवानी | Navpravah.com
द्रविड़ मुनेत्र कड़गम के प्रमुख एम. करुणानिधि की मौत के बाद पार्टी की कमान संभालने के लिए उनके बेटों के बीच जंग छिड़ गई है। न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत करुणानिधि के बड़े बेटे एमके अलागिरी ने पार्टी पर दावेदारी पेश की है।
आज करुणानिधि के समाधि स्थल पर पहुंचे अलागिरी ने कहा, पिता सही कहते थे, पूरा परिवार मेरे साथ है, तमिलनाडु में पार्टी के सभी समर्थक भी मेरे साथ हैं। वे सभी केवल मुझे प्रोत्साहित कर रहे हैं, समय बताएगा कि मैं अभी क्या कुछ कहना चाहता हूं।
करुणानिधि के बड़े बेटे अलागिरी को कुछ साल पहले पार्टी से निकाल दिया गया था और तब से वह मुख्य राजनीति से बाहर हैं। करीब एक साल पहले उनके छोटे भाई और करुणानिधि के छोटे बेटे स्टालिन को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष भी बना दिया गया था।
पिता की मौत के साथ ही स्टालिन के दोनों बेटे पार्टी पर अपनी-अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं, अलागिरी ने खुद को करुणानिधि का राजनीतिक वारिस बताया है, उन्होंने स्टालिन को कार्यकारी अध्यक्ष बनाने के फैसले पर भी सवाल उठाए हैं। दो बेटो के बीच राजनीतिक वारिस बनने का संघर्ष करुणानिधि के दो पुत्रों एमके अलागिरी और एमके स्टालिन के बीच कई वर्षों से संघर्ष चल रहा है, अलागिरी यूपीए सरकार में मंत्री भी रहे थे और उन्हें 2014 में पार्टी से निकाल दिया गया था।
अलागिरी पार्टी से निष्कासन के बाद राजनीतिक निर्वासन में मदुरै में रह रहे थे, लेकिन करुणानिधि जब चेन्नई के एक अस्पताल में भर्ती थे तो अलागिरी पूरे परिवार के साथ थे। द्रमुक के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी में फिर से उत्तराधिकार संघर्ष होने की कोई आशंका नहीं है, उन्होंने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा, हर मुद्दे को सुलझा लिया गया है।

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