सौम्या केसरवानी | Navpravah.com
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि जब श्रीलंका में मेरे पिता राजीव गांधी का हत्यारा लिट्टे प्रमुख वी प्रभाकरण मारा गया, तो मुझे और बहन प्रियंका गांधी को अच्छा नहीं लगा था। ऐसा इसलिए क्योंकि जिस हिंसा में वह शामिल हुआ और जिसका शिकार बना, उसका असर उसके बच्चों समेत दूसरों पर पड़ा था।
मैंने उसके रोते हुए बच्चों में खुद को देखा। जर्मनी के ब्रिक्स समर स्कूल में संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि हिंसा की वजह से उन्होंने अपने परिवार के दो सदस्यों को खोया था। उन्होंने कहा कि मेरी दादी (इंदिरा गांधी) और पिता (राजीव गांधी) की हत्या हुई, इसलिए मैंने हिंसा की पीड़ा सही है। मैं वास्तव में अपने अनुभव से बात करता हूं, इसी आधार पर कहता हूं कि हिंसा के बाद आगे बढ़ने का एकमात्र तरीका क्षमा है और कोई दूसरा रास्ता नहीं है।
राहुल ने कहा कि, 1991 में एक आतंकवादी ने मेरे पिता की हत्या कर दी। 2009 में हत्या करने वाले उसी व्यक्ति को मैंने श्रीलंका के एक मैदान में मरा पड़ा हुआ देखा था। इसके साथ ही उन्होंने कहा,उसको देखने के बाद मैंने बहन प्रियंका को फोन किया और कहा कि बड़ी अजीब बात है कि मुझे खुशी नहीं हो रही है। मुझे तो इस बात का जश्न मनाना चाहिए था कि जो व्यक्ति मेरे पिता की हत्या का गुनहगार है, उसके इस तरह के हश्र पर मुझे खुशी होनी चाहिए थी, लेकिन पता नहीं क्यों मैं खुश नहीं हो सका।
प्रियंका ने भी कहा कि आप सही कह रहे हैं, मुझे भी खुशी नहीं हो रही है। मुझे इसलिए खुशी नहीं हुई, क्योंकि उसके बच्चों में मैंने खुद को देखा, उसे मृत देखकर मुझे यह अहसास हुआ कि मेरी तरह उसके बच्चे भी रो रहे होंगे।
कांग्रेस अध्यक्ष ने दावा किया कि भारत में भीड़ द्वारा लोगों की पीट-पीटकर हत्या किये जाने की घटनाएं बेरोजगारी और सत्तारूढ़ भाजपा द्वारा नोटबंदी एवं जीएसटी को ‘खराब तरीके से लागू’ किये जाने से छोटे कारोबारों के ‘चौपट’ हो जाने की वजह से उपजे ‘गुस्से’ के कारण हो रही हैं।