AIMPLB ने तीन तलाक पर केंद्र सरकार के बिल को किया ख़ारिज 

AIMPLB ने तीन तलाक बिल को किया खारिज

एनपी न्यूज़ डेस्क | Navpravah.com 
 
लखनऊ में शनिवार को तीन तलाक के संबंध में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड(AIMPLB) की कामकाजी कमेटी ने बैठक ली थी। इस बैठक में तीन तलाक पर केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित बिल को लेकर चर्चा की गई थी। इस बैठक के कई घंटों तक चलने के बाद बोर्ड ने तीन तलाक पर केंद्र सरकार के प्रस्तावित बिल को ख़ारिज करने का फैसला किया।
 
इसी वर्ष भारत की सर्वोच्च न्यायालय ने एक बार में दिए जाने वाले तीन तलाक को अवैध करार दिया था। उसके बाद ही केंद्र सरकार ने तीन तलाक के मसले पर सख्त कानून लाने का फैसला किया था। इस संबंध में मौजूदा शीतकालीन संसद सत्र में बिल पेश किया जाएगा। संसद में बिल पेश करने से पहले ही AIMPLB  ने चर्चा करते हुए इसे महिला विरोधी बताया है। साथ ही तीन तलाक देने पर पर तीन साल की सजा देने वाले प्रस्तावित कानून को क्रिमिनल एक्ट बताया है।
 
केंद्र सरकार के तीन तलाक प्रस्तावित बिल में-

-केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित तीन तलाक बिल में यह साफ़ कहा गया है कि तीन तलाक बोलकर, लिखकर, व्हाट्सप्प और एसएमएस जैसे किसी भी तरीके से दिए जाने वाले तीन तलाक को गैरकानूनी माना जाएगा।
-यह कानून सिर्फ तीन तलाक पर लागू होगा।  
-ऐसा करने पर उस पुरुष को 3 साल तक जेल और जुर्माना दोनों लगाया जा सकता है और यह गैर-जमानती अपराध माना जाएगा। 
-3 तलाक से पीड़ित महिला मजिस्ट्रेट के सामने अपने और अपने बच्चों के लिए ज़िन्दगी गुजारने के लिए गुजारे भत्ता की मांग कर सकती है। 
-पीड़ित महिला, मजिस्ट्रेट के सामने नाबालिग बच्चों के सरंक्षण की भी मांग कर सकती है, इस मुद्दे पर मजिस्ट्रेट अपना आखरी फैसला सुनाएंगे।
-जम्मू-कश्मीर को छोड़ यह कानून पूरे देश में प्रस्तवित होगा। 
 
बता दें कि केंद्र सरकार इस बिल को क्रिसमस की छुट्टी के तुरंत बाद संसद में पेश करेगी। यह बिल संसद में 26 तारीख यानि मंगलवार को पेश किया जा सकता है। सूत्रों से मिली खबर के अनुसार AIMPLB  मुस्लिम के नाम पर राजनीति करने वाले दलों से इस बिल का संसद में विरोध करवा सकता है।
 
गौरतलब है कि देश के कानून मंत्री पहले ही साफ़ कर चुके हैं, यह तीन तलाक पर कानून किसी को परेशान करने के लिए नहीं है। यह कानून मुस्लिम महिलाओं को समाज में सामान्य अधिकार दिलाना, नारी न्याय और उन पर हो रहे अत्याचारों को रोकना है।     
 

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