राजेश सोनी | Navpravah.com
केंद्रीय विद्यालयों में होनी वाली हिंदी प्रार्थना को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से सवाल पूछा है। सर्वोच्च न्यायालय ने पूछा है कि केंद्रीय विद्यालयों में क्यों होनी चाहिए हिंदी में प्रार्थना? क्योंकि सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालय किसी भी धर्म का प्रचार-प्रसार नहीं कर सकते हैं। इस सवाल को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। इस मुद्दे को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई और उसमें केंद्र सरकार पर हिन्दू धर्म को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया है।
सर्वोच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस भेजा है। सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से जवाब मांगते हुए कहा है कि यह एक गंभीर संवैधानिक मामला है। याचिका कर्ता ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए लिखा कि केंद्र सरकार केंद्रीय विद्यालयों में हिंदी भाषा में प्रार्थना करवाकर हिन्दू धर्म को बढ़ावा दे रही है, क्योंकि इन हिंदी प्रार्थनाओं के कई शब्द संस्कृत भाषा के हैं। याचिका में आगे कहा गया है कि यह संविधान अनुच्छेद 25 और 28 के खिलाफ है और इसे इजाजत नहीं दी जा सकती है।
याचिका करता विनायक शाह ने सर्वोच्च न्यायालय से अपील की है कि एक धर्म को बढ़ावा देने वाली ऐसी प्रार्थनाओं को न्यायालय जल्द से जल्द रुकवाए। विनायक शाह पेशे से वकील हैं। शाह के बच्चों ने केंद्रीय विद्यालयों से ही अपनी पढाई संपन्न की है। भारत में करीब 1100 केंद्रीय विद्यालय हैं और इनमें कुल 11 लाख छात्र पढाई करते हैं।