चाइल्ड पॉर्न: जानिए, सुप्रीम कोर्ट ने क्यों पलट दिया हाई कोर्ट का फ़ैसला ?

सौम्या केसरवानी | navpravah.com

नई दिल्ली | आज सुप्रीम कोर्ट ने चाइल्ड पोर्नोग्राफी पर फैसला सुनाया है। अब चाइल्ड पोर्नोग्राफी को डाउनलोड करना और देखना भी पॉस्‍को के तहत अपराध होगा। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से चाइल्ड पोर्नोग्राफी की जगह बाल यौन शोषण और दुर्व्यवहार सामग्री लाने के लिए अध्यादेश जारी करने का भी अनुरोध किया है।

मद्रास हाई कोर्ट ने अपने मोबाइल फोन में चाइल्ड पोर्नोग्राफी से जुड़े कंटेंट रखने के एक आरोपी के खिलाफ चल रहे केस को रद्द कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को रद्द करके इस मामले को फिर से सेशन कोर्ट भेजा है। बच्चों के अधिकार के लिए काम करने वाली कई संस्थाओं ने इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।

इसके पहले मद्रास हाई कोर्ट ने कहा था कि केवल किसी के व्यक्तिगत इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस पर चाइल्‍ड पोर्नोग्राफ़ी डाउनलोड करना या उसे देखना कोई अपराध नहीं है। यह पॉस्‍को अधिनियम और आईटी अधिनियम के तहत अपराध की श्रेणी मे नहीं आता है।

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ कि अध्यक्षता वाली बेंच ने चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी केस में सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा था कि बच्चे का पोर्न देखना अपराध नहीं हो सकता है। लेकिन बच्चे का पोर्नोग्राफी में इस्तेमाल किया जाना अपराध होगा।

आगे इस विषय में CJI ने कहा था कि, किसी से वीडियो का मिलना पॉस्‍को की धारा-15 का उल्लंघन नहीं है लेकिन अगर आप इसे देखते हैं और दूसरों को भेजते हैं, तो यह कानून के उल्लंघन के दायरे में आएगा। व्यक्ति सिर्फ इसलिए अपराधी नहीं होगा कि उसे वीडियो किसी ने भेज दिया है।

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