आचार्य प्रदीप द्विवेदी | नवप्रवाह न्यूज़ नेट्वर्क
आज महाष्टमी का पर्व है, इसे दुर्गाष्टमी भी कहा जाता है। आज यानि नवरात्रि के आठवें दिन भगवती दुर्गा के आठवें स्वरूप माँ महागौरी की पूजा की जाएगी। अष्टमी तिथि पर माँ महागौरी की आराधना से व्यक्ति को सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
माँ महागौरी गौर वर्ण की हैं, इसलिए इनका नाम महागौरी पड़ा। माँ महागौरी की पूजा से कुंडली दोष भी दूर होता है। जब कभी शादी विवाह में अड़चन आती है, तो उस समस्या को दूर करने के लिए महागौरी का पूजन किया जाता है, क्योंकि महागौरी का पूजन करने से कुंडली का कमजोर शुक्र भी मजबूत हो जाता है और दांपत्य जीवन सुखद होता है साथ ही पारिवारिक कलह क्लेश भी मिट जाते हैं।
नवरात्रि में अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्या पूजन का विशेष महत्व है। इस दिन कुंवारी कन्याओं को घर पर बुलाकर उनकी पूजा करने और भोजन कराने की परंपरा होती है। मान्यता है कि कुंवारी कन्याओं में माता दुर्गा का स्वरूप होता है और नवरात्रि पर उनकी नौ दिनों तक आराधना करने के बाद कन्या पूजन कर उनकी विदाई की जाती है। वैसे तो नवरात्रि के हर दिन पर कन्या पूजन का महत्व होता है लेकिन अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है। कन्या पूजन में 9 कन्याओं का पूजन श्रेष्ठ माना जाता है।
पूजन विधि-
महा अष्टमी के दिन प्रातः उठ कर स्नान करने के बाद माता की प्रतिमा को अच्छे वस्त्रों से सुसज्जित करें और देवी भगवती की पूरे विधि और विधान से पूजा करनी चाहिए। मां के पूजन के लिए लाल फूलों का उपयोग करना चाहिए। पूजा के बाद मां को खीर, हलुआ और मिठाइयों का भोग लगाएं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन घर में हवन करवाना बड़ा ही शुभ होता है।
मां महागौरी बीज मंत्र-
श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:।
महागौरी मंत्र-
माहेश्वरी वृष आरूढ़ कौमारी शिखिवाहना।
श्वेत रूप धरा देवी ईश्वरी वृष वाहना।।
ओम देवी महागौर्यै नमः।
अष्टमी तिथि शुभ मुहुर्त-
हिंदू पंचांग की गणना के अनुसार 23 अक्टूबर दिन शुक्रवार को सुबह 6 बजकर 57 मिनट से अष्टमी तिथि शुरू हो जाएगी। जो अगले दिन यानी 24 अक्टूबर की सुबह 6 बजकर 58 मिनट तक रहेगी। नवमी तिथि 24 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 58 मिनट से आरंभ हो जाएगी, जो 25 अक्टूबर की सुबह 7 बजकर 41 मिनट तक रहेगी।
(लेखक, ज्योतिषाचार्य एवं कर्मकाण्ड के ज्ञाता हैं।)