न्यूयॉर्क टाइम्स के बेस्टसेलिंग लेखक स्टीवन फर्निक ने अपनी किताब ‘क्रैश द चैटर बॉक्स’ में कहा है कि हमारा दिमाग पूरे दिन नकारात्मक विचार पैदा करता है।
वे विचार हमारे जीवन को बनाते हैं। इन सब विचारों के बीच आस्था और विश्वास की एक किरण हमें आशा देती है।
दुनिया भर में हर दिन सड़कों पर हजारों दुर्घटनाएं होती हैं। हालांकि, हमें विश्वास है कि जिस बस या कार में मैं बैठा हूं, उसे कोई नुकसान नहीं होगा। भले ही हर दिन हजारों विमान आसमान में उड़ते हैं, लेकिन कुछ दुर्घटनाएं होती हैं। फिर भी हमें विश्वास है कि हमारी उड़ान को कुछ नहीं होगा। जैसे हमें ड्राइवर और पायलट पर भरोसा है, वैसे ही भगवान और संत पर विश्वास है तो हमारी गाड़ी सुचारू रूप से चलेगी।
जब हम काम या व्यापार के लिए घर से निकलते हैं तो हमारे मन में कई सवाल होते हैं। नौकरी और व्यवसाय में कई जटिलताएँ हैं। हालांकि, कभी-कभी हम इससे बाहर निकल जाएंगे और हम ठीक हो जाएंगे। हम कामयाब होंगे। ऐसा विश्वास हमे होता है.
इस प्रकार यदि कंपनी के बॉस में अधिक विश्वास और आत्मविश्वास होता है, तो वह पूरी टीम को उस ऊर्जा से भर देता है।
प्रमुख स्वामी महाराज में करोड़ों लोगों की अनूठी आस्था और विश्वास था । इसके मूल में स्वामी जी की ईश्वर में अटूट आस्था है। स्थिति कितनी भी भयानक और भयंकर और कष्टदायक क्यों न हो, वे कभी भी भयभीत या हिलते या भ्रमित या उदास नहीं होते हैं।
10 जुलाई 1985 को स्वामीश्री एयर इंडिया के विमान से लंदन जाने वाले थे। उसी वर्ष जून के तीसरे हफ्ते में कनाडा से भारत आ रहे एयर इंडिया के एक विमान को आतंकियों बम से उड़ा दिया था . सभी मुसाफिर की मृत्यु हो गई थी । आतंकियों ने धमकी दी है कि एयर इंडिया का हर विमान खतरे में है। लोगों ने भविष्य की बुकिंग रद्द करनी शुरू कर दी। लंदन के चिंतित हरि भक्तों ने एयर इंडिया की बुकिंग रद्द करने और अन्य एयरलाइनों के साथ उड़ान भरने के लिए स्वामी जी को बिनती की । बाद मे बहुत अनुरोध भी किया। स्वामीश्री कहते हैं: “भगवान में विश्वास नहीं करते? भगवान पर भरोसा रखो। किसी बारे में चिन्ता की जरूरत नहीं।”
स्वामीजी एयर इंडिया के विमान में बैठे और विदेश यात्रा की। उन्होंने मुस्कुराते हुए खतरनाक से खतरनाक यात्रा को भी पार किया और पूरे देश और दुनिया को अपने जीवन में निर्भयता का पाठ पढ़ाया।
ईश्वर में आस्था रखने वाला ही करोड़ों का योग क्षेम ले जा सकता है।
2007 के वर्ष में स्वामीजी मुंबई में थे। डॉ के एन पटेल उनकी जांच करने पहुंचे. उन्हों ने स्वामीजी से कहा, ” विख्यात कार्डियोलॉजिस्टि डॉ अश्विनभाई मेहता मुझे बताते रहते हैं कि आप यहां इतनी सेवा क्यों कर रहे हैं? लेकिन आज वह आपके परीक्षण के बाद वह जा रहे थे तब उन्होंने मुझसे कहा कि प्रमुखस्वामी अद्भुत हैं! परीक्षण के लिए गए और उससे पहले भी मैंने उनके चेहरों को देखा। उनके चेहरों पर कोई चिंता नहीं थी। मैंने कई बड़ों का इलाज किया है। मैंने देखा है कि जब हृदय रोग का संकट आता है तो यह बड़े बड़े महानुभावों के चेहरे बदल जाते है। मैंने उनके अंदर ही अंदर अवसाद देखा है। जबकि प्रमुख स्वामी महाराज के चेहरे पे कोई परिवर्तन नहीं हुआ था ।”
स्वामीश्री कहते हैं, ‘हम जब स्वास्थ्य जांच के लिए जाते हैं तब भगवान की मूर्ति को साथ लेकर जाते है । इस लिए उनको हमारी चिता है । उनकी ईच्छा के अनुसार होता है । भगवान ही कर्ता है।’ डॉ। किरणभाई ने कहा कि ‘आपको तो मेडिकल रिपोर्ट का परिणाम पता ही होगा ना ? आप स्वयं भगवान ने स्वयं से पूछिये की आपका रिपोर्ट कैसा आएगा. ‘
स्वामीश्री ने बताया , ‘ सभी डॉक्टर मुझसे स्नेह करते हैं । और संतों और भक्तों की प्रार्थना है तो रिपोर्ट अच्छा ही आएगा. भगवान अच्छा ही करेंगे। रिपोर्ट तो अब तक अच्छे ही रहे हैं और भविष्य मे अच्छे ही आएंगे।’ यह सुनकर सभी ने स्वामी जी की ईश्वर में असीम आस्था विश्वास को देखा। जब स्वास्थ्य की बात आती है, तो अच्छे अच्छे भी कांपने लगते हैं। कोरोना के समय एक बड़ा आदमी इसकी चपेट में आ गया। एक संत को पता चला तो उनको फोन किया । वह प्रतिष्ठित व्यक्ति उसी समय अस्पताल जा रही थी। उन्होंने बहुत भयभीत और उदास स्वर में कहा, ‘स्वामीजी! मुजे कोरोना हो गया है। कृपया आप मेरी रक्षा करे..’
दूसरे किस्से में एक रोग से पीड़ित एक व्यक्ति को एक छोटा सा इंजेक्शन दिया जाना था। उन्हों ने इंजेक्शन देखा और उसमें से बारीक पिचकारी निकलती देख उसकी आंखों में अंधेरा छा गया और अंत में वह चक्कर खा के गिर पड़े । कभी-कभी इंजेक्शन देखकर ही लोग बच्चे की तरह रो पड़ते हैं।
स्वामीजी को तो कई अति गंभीर शारीरिक कष्ट हुए थे । फिर भी उन्होंने हर समय ईश्वर में विश्वास रखते हुए सभी को बीमारी से लड़ने का एक नया तरीका दिखाया था ।
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