बिना कोचिंग के IAS बनी जयन्तिका सिंह ने कही ये बातें

जयन्तिका सिंह
बिना कोचिंग के आईएएस बनीं जयन्तिका

अभिजीत मिश्र | Navpravah.com

यू.पी.एस.सी. भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है, जिसे पास करने में बड़े बड़े धुरंधरों को हालत पस्त हो जाती है। मगर रीवा (मध्य प्रदेश) जिले के एक छोटे से गाँव मे जन्मी जयंतिका सिंह ने आज वो मुकाम हासिल कर लिया है, जिसे पाने की चाह में हर साल लाखों लोग उम्मीद लगाए रहते हैं।

रीवा मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव अमहा में जन्मी जयन्तिका सिंह ने बिना किसी कोचिंग में पढ़ाई किए यू.पी.एस.सी. मेंस में 286वीं रैंक ला कर पूरे मध्य प्रदेश का नाम ऊंचा कर दिया है। बता दें कि आई.ए.एस. जयन्तिका ने अपनी प्राइमरी शिक्षा से ले कर बारहवीं बोर्ड तक कुल 11 स्कूलों में पढ़ाई की। दरअसल जयन्तिका के पिता भारतीय सेना में बतौर कर्नल पदस्थ थे, जो अब सेवानिवृत्त हो गए है। वहीं जयन्तिका की मां एक फ्रीलांसर आर्टिस्ट हैं।

विधि अधिकारी की नोकरी छोड़ आई.ए.एस. बनी जयन्तिका-
जयन्तिका सिंह ने बारहवीं की परीक्षा में कॉमर्स ओर मैथ्स विषय का चयन कर टॉप किया, जिसके बाद क्लेट का एग्जाम दे कर नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी जोधपुर में वकालत की शिक्षा ली। बाद में पांच साल तक पावर ग्रिड कारपोरेशन में बतौर विधि अधिकारी के रूप में सेवाएं दी। समाज सेवा और महिला सशक्तिकरण को प्राथमिकता देने के लिए बिना कोचिंग के यू.पी.एस.सी. की तरफ रुख किया, जहां उन्हें पहली बार में ही सफलता हासिल हो गई।

नवप्रवाह.कॉम की टीम ने जयन्तिका के अनुभव और उनके संघर्ष के बारें में कुछ सवाल किए, प्रस्तुत हैं उसके कुछ प्रमुख अंश-

आपके आदर्श और प्रेरणा कौन हैं?
जयन्तिका: मेरे लिए मेरे माता-पिता और सबसे अहम दादाजी रामनिवास सिंह से प्रेरणा मिली। वही मेरे आदर्श हैं।

अपनी प्रारंभिक और उच्च शिक्षा के बारे में बताएं?
जयन्तिका: पिता फौज में होने के कारण अक्सर बीच पढ़ाई में उनकी पोस्टिंग कहीं और हो जाती थी। मैंने कुल 11 स्कूलों में पढ़ाई की। आर्मी पब्लिक स्कूल से हायर सेकेण्ड्री में टॉप किया। नेशनल लॉ युनिवर्सिटी जोधपुर से पढ़ाई करने के बाद पांच साल तक पॉवर ग्रिड कार्पोरेशन में विधि अधिकारी के पद पर नौकरी की। यह सौभाग्य है कि बिना कोचिंग के ही मेरा चयन हो गया।

अपनी पारिवारिक पृष्ठभूमि के बारे में बताएं?
जयन्तिका: मेरे परिवार के सदस्य विविध क्षेत्रों में कार्यरत हैं। पिताजी और नानाजी फ़ौज में कर्नल रह चुके हैं। माँ स्वतंत्र कलाकार हैं और भाई वकील हैं।

सिविल सेवा में रुचि रखने वाले युवाओं को आप क्या संदेश देना चाहेंगे?
जयन्तिका: सिविल सेवा में आपके ज्ञान के साथ आपके व्यवहार, सब्र और ध्यान की परीक्षा ली जाती है।  दृढनिश्चय, कठोर परिश्रम और किताबी ज्ञान से अलग होकर खुद पर विश्वास होना बहुत जरूरी है, क्योंकि आप कितने भी ज्ञानी क्यों न हो, यदि आपमें आत्मविश्वास की कमी है, तो आपके हर काम में रुकावट आएगी।

आईएएस के इंटरव्यू में आपसे किस प्रकार के प्रश्न पूछे गए?
जयन्तिका: वकील होने के कारण मुझसे वकालत के काफी सवाल पूछे गए। ब्रिटिश राज्य के नियम कानून के बारे में भी पूछा गया। साक्षात्कार कठिन नहीं था, इसमें आपकी संतुलित रचना और क्षमता का आंकलन किया जाता है।

सिविल सेवा में आपकी क्या प्राथमिकताएं होंगी?
जयन्तिका: सभी को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ना और महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना मेरी प्राथमिकता होगी।

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