केजरीवाल की कुर्सी ख़ाली रखकर क्या संदेश देना चाहती हैं आतिशी ?

नृपेंद्र कुमार मौर्या | navpravah.com

नई दिल्ली | आतिशी ने सोमवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री पद का चार्ज ग्रहण किया, जिसके बाद राजनीतिक चर्चाएँ शुरू हो गईं। उन्होंने इस अवसर पर अनोखे तरीके से सीएम की कुर्सी के बगल में एक कुर्सी रखी और कहा कि यह कुर्सी पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि कुछ महीनों में दिल्ली की जनता उन्हें फिर से चुनकर सीएम बनाएगी और तब तक यह कुर्सी यहीं रहेगी।

आतिशी ने यह संदेश भी दिया कि वे केजरीवाल के विचारों को आगे बढ़ा रही हैं। केजरीवाल ने इस्तीफा देने के बाद कहा था कि जनता ही अब निर्णय करेगी, और आतिशी भी उसी दिशा में बढ़ रही हैं। यह संकेत मिलता है कि वे केजरीवाल के संदेश को जनता तक पहुंचाना चाहती हैं।

आतिशी ने कहा कि अरविंद केजरीवाल की कुर्सी का स्थान इसी कमरे में रहेगा, जो उनकी वापसी का प्रतीक है। उन्होंने सीएम ऑफिस में केजरीवाल की कुर्सी को बगल में रखकर इमोशनल संदेश देने की कोशिश की, यह दर्शाते हुए कि सभी को केजरीवाल का इंतज़ार है।

सीएम पद की शपथ लेने के बाद की पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में, आतिशी ने भी केंद्र सरकार पर हमला बोला। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि आज अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री क्यों नहीं हैं। उनके अनुसार, बीजेपी की केंद्र सरकार ने केजरीवाल के खिलाफ साजिश रची, उन्हें झूठे मुकदमों में फंसाया और छह महीने से अधिक समय तक जेल में रखा।

आतिशी की यह कोशिश स्पष्ट करती है कि वे न केवल केजरीवाल के विचारों को आगे बढ़ा रही हैं, बल्कि केंद्र सरकार के खिलाफ भी आवाज उठा रही हैं। उनकी यह रणनीति अगले चुनावों को ध्यान में रखते हुए है, जिसमें वे जनता के सामने केजरीवाल की सरकार की उपलब्धियों और उनकी वापसी का मुद्दा उठाना चाहती हैं।

इस प्रकार, आतिशी ने अपने पदभार ग्रहण के साथ ही एक राजनीतिक संदेश देने का प्रयास किया है, जो न केवल अरविंद केजरीवाल की विरासत को संरक्षित करता है, बल्कि आगामी चुनावों की तैयारियों का भी संकेत देता है।

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