सौम्या केसरवानी । Navpravah.com
नोटबंदी के एक साल पूरे होने के मौके पर इंफोसिस के चेयरमैन नंदन नीलेकणि ने मोदी सरकार के इस कदम की सराहना की है और इसे कैशलेस इकॉनोमी बनने के भारत के सफर में एक अहम फैसला करार दिया है।
नंदन नीलेकणि ने एक अंग्रेजी अखबार में लिखे में अपने लेख में कहा है, ‘गरीबी मिटाने के लिए अहम मानी गई वित्तीय समावेश और सस्ते कर्ज तक पहुंच के लिए दुनिया भर में डिजिटाइजेशन और कैशलेस पेमेंट को पहला कदम माना गया है।
उन्होंने लिखा है कि भारत डिजिटल पेमेंट के मामले को समझता है, नोटबंदी और उसके बाद नकद का विकल्प तलाशने की तात्कालिकता ने डिजिटाइजेशन और कैशलेस पेमेंट पर सरकार का ध्यान केंद्रित किया है। वह आगे लिखते हैं, अचानक सरकार के मंत्री और नौकरशाह पूछने लगे कि कैशलेस पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए वे क्या कर सकते हैं और इसके बाद जिन कदमों को पूरा करने में वर्षों लग जाते उन्हें चंद हफ्तों में पूरा कर लिया गया।
उन्होंने लिखा है, ‘डिजिटल पेमेंट्स तो बस पहला कदम है, अब लोग इसके जरिये आसानी से पैसों का लेनदेन कर सकते हैं। हम डिजिटल इंडिया की ओर बढ़ रहे हैं, हम अब लोगों के लिए नई सेवाएं और उत्पाद विकसित होते देखेंगे।
इसके साथ ही उन्होंने लिखा है कि 8 नवंबर, 2016 हमारी यादों में ऐसे दिन की तरह जुड़ गया है, जहां हम कैशलेस की तरफ बढ़ गए, लेकिन यह बस शुरुआत था, डिजीटाइजेशन हमेशा से एक लंबी प्रक्रिया रही है, और हमें अब भी लंबा सफर तय करना है।