नृपेंद्र कुमार मौर्या | navpravah.com
नई दिल्ली | कहा जाता है कि अगर इरादे मजबूत हों और मेहनत की जाए तो कामयाबी जरूर मिलती है। इस बात को सिद्ध कर रहा है देश में आईएएस-आईपीएस जैसे उच्च पदों पर अब ज्यादा संख्या में मुसलमानों का काबिज होना। इससे पहले आम तौर पर यह माना जाता रहा है कि आजादी के 75 साल बाद भी शैक्षिक रूप से मुस्लिम पिछड़े हैं और देश के रसूखदार पदों पर उनकी मौजूदगी न के बराबर है।
यह बात 2016 तक काफी हद तक हकीकत के करीब भी रही है, मगर अब ऐसा नहीं है। हाल ही में संघ लोक सेवा आयोग की जारी सिविल सर्विसेज मेरिट लिस्ट, 2023 में 50 से ज्यादा मुस्लिम कैंडिडेट्स ने जगह पाई है। इनमें से 5 तो ऐसे हैं, जिन्हें टॉप-100 में जगह मिली है। इन पांच उम्मीदवारों के नाम रुहानी, नौशीन, वर्दाह खान, ज़ुफिशान हक और फबी रशीद हैं, इन पांचों ने अपनी मेहनत से टॉप 100 में जगह बनाई है। इस सफलता से न सिर्फ उनका समुदाय बल्कि पूरा देश प्रेरित होता है।
उल्लेखनीय है कि शाह फैसल ने 2010 में IAS टॉप करके कश्मीरियों समेत पूरे देश के मुस्लिम युवाओं को प्रेरणा दी थी। इसके बाद 2015 में कश्मीर के अतहर आमिर ने UPSC में दूसरी रैंक हासिल की थी। वहीं, 2017 में मेवात के अब्दुल जब्बार भी चयनित हुए थे। वे इस क्षेत्र से पहले मुसलमान सिविल सर्वेंट हैं। और अब 2023 में दिल्ली से पढ़ाई करने वालीं गोरखपुर की नौशीन ने सिविल सेवा परीक्षा में 9वीं रैंक हासिल की है, जो मुस्लिम समुदाय के लड़के-लड़कियों को देश की सर्वोच्च सेवा में सफल होने के लिए राह दिखाएगा।
मुस्लिम कैंडिडेट्स की सफलता दर 5 फीसदी, बीते साल से ज्यादा-
इससे पहले 2022 की सिविल सेवा परीक्षा में कुल 933 अभ्यर्थी आईएएस-आईपीएस और केंद्रीय सेवाओं के लिए चुने गए थे। इनमें से महज 29 कैंडिडेट्स मुस्लिम कम्युनिटी से थे। जो कुल सफल लोगों में से करीब 3.1 फीसदी रहे। इस बार यानी 2023 की सिविल सेवा परीक्षा में 51 मुस्लिम कैंडिडेट्स सफल रहे, उनका कुल सफल लोगों में प्रतिशत 5 फीसदी से ज्यादा ही रहा है।
2022: UPSC प्रीलिम्स और मेन्स परीक्षा में 2,529 उम्मीदवार सफल हुए, जिनमें 83 मुस्लिम थे। अंत में, 933 उम्मीदवारों को IAS, IPS, IFS, IRS और अन्य सेवाओं के लिए चुना गया, जिसमें 30 मुस्लिम शामिल थे।
2021: इस साल की मेन्स परीक्षा में 1,823 उम्मीदवार पास हुए थे और इंटरव्यू के लिए बुलाए गए थे। फाइनल मेरिट लिस्ट में 685 उम्मीदवारों का नाम था, जिसमें 21 मुस्लिम उम्मीदवार थे। यह पिछले दस सालों में मुस्लिम उम्मीदवारों का सबसे कमजोर प्रदर्शन था।
2020: इस वर्ष, UPSC ने 761 उम्मीदवारों को विभिन्न शीर्ष सेवाओं के लिए सुझाया जिसमें 31 मुस्लिम शामिल थे।
2019 और 2018: 2019 में 42 मुस्लिमों ने परीक्षा पास की जबकि 2018 में केवल 27 मुस्लिम सफल हुए थे।
2016 और 2017: ये दो साल मुस्लिम उम्मीदवारों के लिए बहुत अच्छे रहे. 2016 में 52 और 2017 में 50 मुस्लिम उम्मीदवारों ने सफलता हासिल की।
2015 और 2014: 2015 में 1,078 में से 34 मुस्लिम और 2014 में 1,236 उम्मीदवारों में से 38 मुस्लिम सफल हुए।
2013 में, 34 मुस्लिम उम्मीदवारों ने परीक्षा पास की।
गोरखपुर से हैंAIR 9 नौशीन –
नौशीन मूल रूप से गोरखपुर के कुशीनगर क्षेत्र के पिपरा कनक गांव के मठिया टोला की रहने वाली हैं। नौशीन ने प्रारंभिक शिक्षा गोरखपुर के रैंपस स्कूल से पूरी कर दिल्ली विश्वविद्यालय के एसजीटीबी खालसा कॉलेज से स्नातक की डिग्री हासिल की। इसके बाद वह सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी में जुट गईं। नौशीन ने बताया कि उन्हें इस बात की काफी खुशी है कि उन्होंने यह सफलता बिना किसी कोचिंग के खुद की बनाई अध्ययन रणनीति से हासिल की है। उनके पिता आकाशवाणी के सहायक निदेशक (अभियांत्रिक) के पद पर कार्यरत हैं। नौशीन अपनी सफलता का श्रेय अपने पिता अब्दुल कयूम, मां जेबा खातून, बहन नगमा और भाई अकरम को देती हैं। नौशीन ने बताया कि उन्हें सफलता मिलने की पूरी उम्मीद थी, लेकिन नौवीं रैंक हासिल होने को लेकर वह व परिवार उत्साहित हैं।