एनपी न्यूज़ डेस्क | Navpravah.com
सेंट पीटर्स विद्यालय में “अपने प्रिय कवि से मिलिए” कार्यक्रम का आयोजन किया गया था । आमंत्रित अतिथियों का स्वागत और परिचय पर्यवेक्षक सुनील माने ने दिया । कार्यक्रम के पहले सत्र में डॉ. जितेन्द्र पाण्डेय का सद्यः प्रकाशित यात्रा वृत्तांत “देखा जब स्वप्न सवेरे” का विमोचन संपन्न हुआ । कार्यक्रम के अध्यक्ष प्राचार्य डॉ. विल्फ्रेड नरोन्हा थे ।
मुख्य अतिथि के रूप में प्रख्यात आलोचक और मुंबई विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग के प्रोफेसर डॉ. करुणाशंकर उपाध्याय उपस्थित थे । डॉ. उपाध्याय ने हिंदी के वैश्विक सन्दर्भों को स्पष्ट करते हुए बताया कि आने वाला समय ‘हिंद’ और ‘हिंदी’ का होगा । अतः मुझे हिंदी को लेकर कोई खतरा महसूस नहीं होता । पुस्तक विमोचन के अवसर पर चर्चित जनवादी कवि हृदयेश मयंक ने छात्रों को प्रोत्साहित करते हुए अपनी एक गज़ल सुनाई-‘इज्ज़त न सही आप से नफरत तो मिली है। जैसे भी मिली है, हमको ये शोहरत मिली है ।’
अध्यक्षीय भाषण में डॉ. विल्फ्रेड ने लोकप्रियता के पीछे कड़ी मेहनत की तरफ इशारा करते हुए पुस्तक के लेखक को बधाई दी । इस अवसर पर प्राचार्य रामनयन दूबे, प्राचार्य ऑगस्टीन, दैनिक सकाळ के वरिष्ठ पत्रकार सुनील कांबले, नवभारत टाइम्स के विजय पाण्डेय, प्रतिभा मिश्रा, श्रीकांत पोफले, सागर पाटिल और रोहन शेट्टी ने पुस्तक पर अपने-अपने विचार रखे । कार्यक्रम का दूसरा चरण “अपने प्रिय कवि से मिलिए” कार्यक्रम पर केंद्रित था । इस अवसर पर कई विद्यालय से आए छात्रों ने स्वरचित कविताएं सुनाई । इसके लिए उन्हें सहभागिता प्रमाणपत्र दिया गया । उन्होंने कवि हृदयेश से एक रोचक संवाद भी स्थापित किया । एक प्रश्न का उत्तर देते हुए मयंक जी ने बताया कि अपना अनुभव जब शब्दों में ढलता है तो कविता बन जाती है ।
कार्यक्रम के अंतिम सत्र में हिंदी कार्यशाला रखी गई थी । श्री राम नयन दूबे और श्रीमती प्रतिभा मिश्रा के मार्गदर्शन में हिंदी के अध्यापकों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया । कार्यक्रम का संचालन चन्द्रवदन आढाव और राम शेलके ने किया । प्रिया पायस ने आभार प्रदर्शन की औपचारिकी निभाई ।