उत्तर प्रदेश में सियासी समीकरण तेजी से बदल रहे हैं सूत्रों के अनुसार यूपी में लोकसभा उपचुनाव में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का गठबंधन हो सकता है।
सपा-बसपा नेताओं के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है। इस संबंध में बसपा सुप्रीमो मायावती की ओर से गोरखपुर और इलाहाबाद के जोनल को-ऑर्डिनेटरों को निर्देश पहले ही दे दिए थे।
राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि देशभर में लगातार बढ़ रहे भारतीय जनता पार्टी के विजय रथ को रोकने के लिए उत्तर प्रदेश में यह दोनों बड़े दल एक बार फिर साथ आए हैं।
सपा-बसपा ये गठबंधन स्थानीय स्तर पर करने जा रहे हैं, लेकिन जो लोग अखिलेश यादव और मायावती को बेहद करीब से जानते हैं। उनके मुताबिक ये गठबंधन अखिलेश और मायावती के बीच बातचीत के बाद ही संभव हो सकता है।
लोकसभा चुनाव 2019 से पहले ये बड़ा चुनावी गठबंधन होगा, क्योंकि यूपी में सपा-बसपा एक दूसरे की धुर विरोधी पार्टी मानी जाती है। अब ये तो देखने वाली बात होगी कि अखिलेश-मायावती की नज़दीकियां यूपी में परिवर्तन लायेगी या नहीं।
यूपी के गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं। जहां समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं, बीएसपी ने उपचुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है। गोरखपुर सीट सीएम योगी के सांसद पद से इस्तीफ़ा देने के बाद खाली हुई है, तो फूलपुर सीट से यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य सांसद थे।
आपको बता दें कि, 1993 में सपा-बसपा गठबंधन ने सरकार बनाई थी और मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री चुने गए थे। डेढ़ साल बाद 2 जून 1995 को लखनऊ में स्टेट गेस्ट हाऊस कांड हो गया, बसपा अध्यक्ष मायावती के साथ सपा कार्यकर्ताओं ने दुर्व्यवहार किया गया, इसके बाद ये गठबंधन टूट गया और भाजपा के सहयोग से मायावती पहली बार मुख्यमंत्री बन गईं, और तभी से सपा और बसपा के सम्बंध अच्छे नही रहे।