ऐसी घटना जिससे पूरा देश शोक में डूब गया था.जब हमारे देश के 42 जवान एक साथ शहीद हुए. ऐसा दिन था जब हर भारतीय के आँख में आँसू थे. हमने अपने देश के जाबाज सिपाही खोये थे.इस घटना से कई परिवारों का सब कुछ छिन गया.लेकिन आज सरकार को उन शहीदों के परिवार से कोई लगाव नही.
ऐसी ही कहानी है सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (CRPF) के जवान कौशल कुमार रावत की. कौशल कुमार रावत 14 फरवरी 2019 को उस बस में सवार थे जिसे आतंकियों ने आत्मघाती हमले में उड़ा दिया था.
पुलवामा हमले को एक साल होने वाले हैं लेकिन उस हमले में मारे गए शहीदों को अब तक सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिली है. केंद्र सरकार ने सिर्फ वादे किए लेकिन उन्हें अब तक पूरा नहीं किया. सरकार का रवैया भी इतना लचर है कि शहीदों के परिजन दफ्तरों के चक्कर लगा-लगाकर थक चुके हैं.
कौशल कुमार रावत आगरा के रहने वाले हैं. यहां उनका पैतृक आवास सूना है. शहीद कौशल रावत की मां सुधा रावत आज भी बेटे के बारे में बात करती हैं तो आंखों से आंसू निकल आते हैं. सरकार, प्रशासन और सामजिक संगठनों को आंसू पोंछने चाहिए तो वह उस बूढ़ी मां को दफ्तरों के चक्कर लगवा रही है.
शहीद की माँ सुधा कहती हैं कि जब बेटे की अंतिम यात्रा निकली थी, तब बड़े-बड़े अधिकारी, नेता आए थे. सबने बड़े-बड़े वादे किए थे. लेकिन एक साल पूरा होने वाला है लेकिन आज तक कोई वादा पूरा नहीं हुआ है.
शहीद कौशल की पत्नी ममता परिवार सहित अब गुरुग्राम के मानेसर इलाके में रहता है. शहीद की पत्नी ममता का आरोप है कि सरकार और अधिकारी उनकी कोई मदद नहीं की है. घर की हालत देख कर किसी के भी आँखो में आँसू आ जाते है. लेकिन सरकार हाथ पे हाथ रखे बैठी है.