एनपी न्यूज़ डेस्क | Navpravah.com
केंद्र सरकार ने आज सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि सिमकार्ड लेने के लिए एकमात्र पहचान सबूत के तौर पर आधार कार्ड को जोड़ना एक अंतरिम उपाय था।
यह तब तक जारी रहेगा, जब तक आधार अधिनियम की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर शीर्ष अदालत का फैसला नहीं आ जाता। अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ के समक्ष प्रतिक्रिया दे रहे थे।
वेणुगोपाल ने पीठ को बताया कि अदालत के पहले आदेश के अनुसार। आधार के अलावा अन्य पहचान प्रमाणों को अंतरिम व्यवस्था के रूप में शामिल किया गया है और फैसला आने तक ऐसे ही जारी रहेगा।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कल कहा था कि वह सरकार की इस दलील से सहमत नहीं है कि आधार कानून को लोकसभा अध्यक्ष ने धन विधेयक बताने का सही निर्णय किया क्योंकि ‘ यह सब्सिडी के लक्षित वितरण ’ से जुड़ा है जिसके लिए धन भारत की संचित निधि से आता है।
पीठ ने कहा, समस्या आधार अधिनियम की धारा 57 के संबंध में पैदा होती है। धारा 57 का संबंध धारा सात और सब्सिडी। लाभ और सेवाओं के लक्षित वितरण से टूट जाता है।
पीठ ने कहा कि ‘किसी निगम या व्यक्ति’ को आधार का इस्तेमाल किसी भी उद्देश्य के लिए किसी व्यक्ति की पहचान स्थापित करने की अनुमति देना भारत की संचित निधि से संबंध को खत्म कर देता है। पीठ ने संकेत दिया कि आधार कानून को धन विधेयक नहीं कहा जा सकता है।