कश्मीर से कन्याकुमारी और जामनगर से डिब्रुगढ़ तक हमारा डीएनए एक ही है : सुब्रमण्यम स्वामी

न्यूज़ डेस्क । Navpravah.com

पंडित दीनदयाल उपाध्याय जन्मशताब्दी वर्ष के तहत आयोजित संगोष्ठी “लोक जीवन में भारतीय अस्मिता” में मुख्य अतिथि के तौर पर भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी शामिल हुए।

इस मौके पर उपस्थिति स्वामी ने कहा, “इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्देश पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने दो लोगों की एक टीम गठित की थी, जिसमें एक हिंदू और एक मुस्लिम सुपरवाइजर था। एक महीने में इस टीम ने अपनी रिपोर्ट दी जिसमें कहा गया कि बाबरी मस्जिद के नीचे आज भी एक विशाल मंदिर का ढांचा है।”

उन्होंने कहा, “आज अगर प्रधानमंत्री चाहेंगे तो उसी रिपोर्ट के आधार पर संसद में एक प्रस्ताव ला सकते हैं। लेकिन हम उच्चतम न्यायालय के निर्णय का इंतजार करेंगे। सुन्नी वक्फ बोर्ड ने अपनी अर्जी में कहा है कि यह संपत्ति 500 साल से हमारे कब्जे में है, इसलिए इस पर हमारा अधिकार है।’’

उन्होंने कहा, “उच्चतम न्यायालय ने कम से कम पांच बार कहा है कि जहां मूलभूत अधिकार का सामान्य अधिकार से टकराव होता है, वहां मूलभूत अधिकार को ही माना जाएगा और मंदिर में पूजा करना हमारा मूलभूत अधिकार है।”

स्वामी ने आगे कहा, “ हमें मस्जिद से ऐतराज नहीं, लेकिन हम मुस्लिमों से तीन जगहों को छोड़ने का आग्रह करते हैं, मथुरा में कृष्ण के लिए, अयोध्या में भगवान राम के लिए और वाराणसी में काशी विश्वनाथ के लिए। बाकी उन 40,000 मस्जिदों को हम छोड़ देंगे, जिन्हें मंदिर तोड़कर बनाया गया है।” स्वामी ने कहा, “ कश्मीर से कन्याकुमारी और जामनगर से डिब्रुगढ़ तक हमारा डीएनए एक ही है। चाहे वह हिंदू हो, मुस्लिम हो, सिख हो या ईसाई हो”।

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