एनपी न्यूज़ डेस्क | Navpravah.com
हर साल औसतन 4 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मुहैया कराने वाले स्टॉफ सेलेक्शन कमीशन की साख आज खतरे में है। यह कंबाइंड ग्रेजुएट लेबल (सीजीएल) के प्रश्न पत्र लीक होने की वजह से खतरे में है।
सरकारी नौकरी पाने की उम्मीद लिए हजारों नौजवान 21 फरवरी की सुबह स्टाफ सेलेक्शन कमीशन की परीक्षा के लिए तैयार थे। ये नौजवान परीक्षा केंद्र में दाखिल होते। इससे पहले कुछ परीक्षार्थियों की निगाह फेसबुक पर आए एक पोस्ट पर चली गई।
इस फेसबुक पोस्ट पर एसएससी परीक्षा से जुड़े सात प्रश्न पत्र मौजूद थे। फेसबुक पोस्ट में दावा किया गया था कि 21 फरवरी की सुबह 10:30 बजे से होने वाली एसएससी की परीक्षा के प्रश्न पत्र हैं।
फेसबुक पोस्ट को देखकर पहले तो किसी को भरोसा नहीं हुआ, उन्हें लगा फेसबुक पर कोई ऐसे ही मजाक कर रहा है। लेकिन जब परीक्षा केंद्र में इन परीक्षार्थियों के सामने प्रश्न पत्र आया तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई।
उन्होंने पाया कि सोशल मीडिया में वायरल प्रश्न पत्र में जो प्रश्न मौजूद थे। वहीं प्रश्न उनके कंप्यूटर स्क्रीन के सामने हैं। फर्क सिर्फ इतना था कि सभी प्रश्नों के क्रम बदले हुए थे। चंद मिनटों में यह बात आग की तरफ पूरे देश में फैलना शुरू हो गई।
कुछ छात्रों ने इसकी शिकायत स्टाफ सर्विस कमीशन को दी तो कुछ ने पुलिस का दरवाजा खटखटाया, लेकिन प्रारंभिक तौर पर नतीजा सिफर ही रहा, हर चौखट से नाकामी मिलता देख इन परीक्षार्थियों ने खुद मोर्चा संभालने का फैसला किया।
हर दिन इस विरोध प्रदर्शन में सैकड़ों परीक्षार्थी जुटते चले गए। देखते ही देखते हजारों परीक्षार्थियों अपना विरोध दर्ज कराने सीजीओ कॉप्लेक्स के बाहर पहुंचने लगे, परीक्षार्थियों का यह प्रयास रंग लाया।
एसएससी की किरकिरी बढ़ती देख सरकार और विपक्ष इन परीक्षार्थियों के पक्ष में दिखने लगे। आखिर में 14 मार्च को केंद्र सरकार ने इस मामले की सीबीआई जांच कराने के आदेश जारी कर दिए।
सीबीआई के अनुसार नकल को रोकने के लिए एक विशेष साफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जाता था, यह सॉफ्टवेयर परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों के क्रम को बदल देता था, जिसके चलते हर परीक्षार्थी को कंप्यूटर सेट पर प्रश्नपत्रों का अलग-अलग सेट मिलता था।
जांच के दौरान यही सॉफ्टवेयर सीबीआई के लिए पहला मददगार बना, इस सॉफ्टवेयर के जरिए सीबीआई को पता चला कि जो प्रश्न पत्र सोशल मीडिया में वायरल हुए थे, वह किन परीक्षार्थियों को दिया गया था।
जांच में पता चला कि यह प्रश्न पत्र सचिन चौहान, शंभु कुमार, धीरज, दीपक राणा, सोनम, अनूप और सुमन नामक परीक्षार्थियों को परीक्षा के लिए दिए गए थे, जांच में पता चला कि इन्हीं 7 परीक्षार्थियों को दिए गए प्रश्न पत्रों का स्क्रीन शॉट लेकर सोशल नेटवर्किंग साइट में डाला गया था।
सीबीआई जांच में पता चला कि 2016 से पहले स्टाफ सेलेक्शन कमीशन की कंबाइंड ग्रेजुएट लेबल (सीजीएल) परीक्षा ऑप्टिकल मार्क्स रीडर (ओएमआर) पद्धति से ली जाती थी।
एसएससी ने 2016 को सीजीएल परीक्षा को ऑन लाइन कर दिया, ऑन लाइन परीक्षा के लिए एसएससी ने 12 अप्रैल 2016 को मेसर्स सिफी टेक्नोलॉजी लिमिटेड नामक कंपनी के साथ समझौता किया गया।